हसीन मुलाकात (भाग-2) के आगे....
हसीन मुलाकात (भाग-3)
शायद आज की मुलाकात इतनी ही थी। पर आज उसकी खनखनाती हंसी और मीठी आवाज़ ने मुझे पूरी तरह दीवाना बना दिया था...
ना जाने कहाँ से आई है, ना जाने कहाँ को जाएगी, दीवाना किसे बनाएगी यह लड़की...
अगले दिन जब मैं उठा तो रात में देर तक भीगने के कारण बहुत तेज़ fever हो गया था और बदन बुरी तरह से टूट रहा था।
आह! आज कैसे मिलूंगा उससे...
मैं बहुत ही sincere employee हूँ। कभी बगैर बात के छुट्टी नहीं लेता था।
पर आज ना जाने क्या हो गया था कि office से छुट्टी की परवाह नहीं थी, पर उससे नहीं मिल पाना मुझे बहुत सता रहा था।
तभी बाहर बारिश की झड़ी लग गई, और आज तो ऐसी झड़ी लगी थी कि रात तक एक पल को भी नहीं थमी। उसे देखकर मन गा उठा,
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है, वही आग सीने में फिर जल उठी है....
और मैं कब उसे याद करता हुआ, नींद के आगोश में चला गया, मुझे नहीं पता।
आज कुछ तबियत ठीक लग रही थी, मैंने सोचा office नहीं जाऊंगा पर उससे मिलने जरूर जाऊंगा।
Office से पहुंचता था तो थका-हारा दिखता था, आज घर से जाना था तो बन-ठन कर gift लेकर गया था।
आज बारिश नहीं हो रही थी, पर मौसम बहुत ज्यादा humid था। मैं बहुत देर तक इधर-उधर घूम कर उसका इंतज़ार कर रहा था।
तभी एक आदमी आया, बोला तुम अंकिता का इंतजार कर रहे हो?
अंकिता... अंकिता कौन? मैंने उससे पूछा...
एक बहुत सुन्दर मासूम सी लड़की, जिसे सावन बहुत पसंद था...
मैं उसका नाम नहीं जानता, पर मैं जिसका इंतजार कर रहा हूँ, शायद आप उसी के बारे में बोल रहे हैं...
वो थोड़ी दूर पर ही रहती थी... उसका नाम अंकिता था। वो बड़ी मासूम और दयालु थी।
यह आप बार-बार थी.. थी... क्यों बोल रहे हैं?
क्योंकि कल वो तुम्हारे इंतज़ार में बहुत देर तक यहाँ खड़ी भीगती रही, पर तुम नहीं आए, लेकिन कोई और आ गया!
कौन?... मैंने घबराते हुए पूछा?
उसकी मौत!
क्या...
तुम्हारे नहीं आने से उसका दिल टूट गया और बहुत अधिक भीगने से शरीर...
आज सुबह ही उसे ICU में भर्ती करवाया गया था और शाम तक शायद उसे तुम्हारा इंतज़ार था, पर तुमने बहुत देर कर दी...
मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई, मैं उससे अब कभी नहीं मिल पाऊँगा। मैं यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैं वहीं घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा।
क्या आप मुझे बता सकते हैं कि वो कहाँ रहती थी?
अब क्या करोगे जानकर?...
आप पहेली ना बुझाएं, कहां रहती थी, वो... वो बताएं....
वो जो चौराहे पर पीली कोठी है, वहीं घर है उसका। यह कहकर वो चला गया।
मैं उसके बताए हुए रास्ते पर गया, तो देखा वहाँ तो पीली कोठी, खंडर में बदल चुकी थी।
मुझे कोठी देखकर, अजीब सी सिरहन हुई, क्या यहाँ रहती थी अंकिता?
मैं अंदर जाने वाला था कि लगा कोई मेरे पीछे खड़ा था। मैं जैसे ही पलटा तो, मेरे मुंह से निकला - अरे अंकिता तुम जिंदा हो?
कौन अंकिता?.. मैं तो अंजलि हूँ...
मुझे नहीं पता कौन अंकिता, तुम ठीक हो, बस यही मेरे लिए सच है। कहकर मैंने उसका माथा चूम लिया...
वो कुछ पल जिसमें मुझे लगा था कि मैंने अपने प्यार को खो दिया, वो मुझे हजारों मौत दे गया था।
पर उसी समय, अंजलि का मुझसे मिलनाआना, मेरी जिंदगी की सबसे हसीन मुलाकात थी...
तभी बहुत तेज बारिश होने लगी, हमारे प्यार की साक्षी बनकर, जैसे वो भी हमारे मिलन से खुशी से झूम उठी हो।
बरसो रे मेघा मेघा.... बरसो रे मेघा मेघा, बरसो रे मेघा बरसो....