अब तक आपने पढ़ा.... सुधा पूरे घर की जान है, वो अपने देवर की शादी की सभी व्यवस्था देख रही है, उसके engagement में ready होते time safety pin चुभ जाती है, जिससे से उसके कंधे में swelling आ जाती है, पर वो फिर भी शादी के कामों में व्यस्त रहती है......
अब आगे......
छोटी सी बात (भाग-३ )
अब
शादी के केवल चार दिन रह गए थे, सुधा को अब बुखार भी आने लगा था, और हल्के हल्के चक्कर भी
आने लगे थे। पर घर मेहमानों से खचाखच भरा हुआ था। सुधा ने अपने बारे में किसी को
कुछ नहीं बताया, सोचने लगी, शादी के कामों की थकान के कारण ऐसा लग
रहा होगा, फिर चार
दिन में देवरानी आ ही जाएगी। तब अच्छे से उससे सेवा करवाऊंगी।
बारात
चलने की सारी तैयारी हो गयी थी, सुधा ने नितिन के काजल लगाया, और बोली, नितिन भैया मैं बहुत थक
गयी हूँ। अब घर की सारी ज़िम्मेदारी आप और सरिता ही उठाएंगे। सचिन बोला लो जी, ये जेठानी बन रही हैं, और बातें सास बनने जैसी
कर रही हैं। सभी लोग ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।
बारात
गाजे-बाजे के साथ चल दी। बहुत ही धूमधाम से विवाह सम्पन्न हो गया। सुधा, नितिन और सरिता का गृह प्रवेश कर रही
थी। गृह प्रवेश पूरा होने के बाद सुधा बोली, माँ मेरी ज़िम्मेदारी पूरी
हुई। सुधा की सास ने उसे ढेरों आशीर्वाद दिये और बोली हाँ बेटा, आज तुम्हारी ज़िम्मेदारी
पूरी हो गयी। सुधा सचिन की तरफ मुड़ी ही थी कि, सुधा को काफी कस के चक्कर आया, और वो ज़मीन पर गिर गयी।
ये देख कर सब घबरा गए। आनन-फानन में उसे hospital ले जाया गया।
डॉक्टर
ने जब देखा तो, वे बोले, इनके कंधे में कोई चीज़ चुभ गयी थी? सचिन बोला नहीं तो, पर नितिन याद करता सा
बोला, हाँ doctor साहब safety pin चुभी थी। पर उस बात को तो
1 महिना हो गया है।
आप
घर जा कर देखिएगा, उसमे जंग लगी होगी, उसमे लगी थोड़ी सी जंग
इनके शरीर में चली गयी थी। जिसने वहाँ ज़हर
फैलाना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से इनके कंधे में भी swelling
है, फीवर भी उसी कारण से है, और इन्हे चक्कर भी उसी
कारण से ही आया था। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे। Doctors के अथक प्रयास के बावजूद
वो सुधा को नहीं बचा सके।
जिस
दिन का सुधा को कब से इंतिज़ार था, आज उसी दिन एक छोटी सी safety pin ने उसे सब से दूर कर दिया
था।
नितिन, उस जंग लगी, सुधा के खून से रंगी safety
pin को देखकर
सोच रहा था। जब safety pin चुभी थी, उसे छोटी सी बात समझ उन लोगो ने उसे ignore कर दिया। काश उसी दिन सुधा
के tetanus का
injection लगवा
लिया होता, तो आज सुधा उन लोगों के साथ होती।
सचिन
भी सोच रहा था, जब सुधा सारी ज़िम्मेदारी नितिन को सौंप रही थी, तब शायद उसकी आत्मा सचिन
को अपने चले जाने की बात से सबको सचेत कर रही थी, पर कोई समझ ही नहीं पाया।
काश
वो, सुधा के
दर्द को भाँप पता, और सुधा को tetanus का injection लगवा देता तो, उस दिन safety
pin चुभना छोटी
सी बात ही होती।