कोख
आज कल के लड़के-लड़कियां बहुत ही जल्दी तुनक जाते हैं, जिसका फायदा रधिया की माँ को उठाना खूब आता था। वो ऐसी
ही लड़कियों की तलाश में रहा करती थी। वो ऐसी लड़कियों को जब पा जाती, तो उन्हें उनके माँ-पापा के खिलाफ खूब
भड़काती। और साथ ही उनके खूब मज़े भी कराती जिसमें
उन्हें खूब फिल्म दिखाना, होटलबाजी कराना शामिल था।
और जब वे अपने घर वालों से पूरी तरह से चिढ़ जातीं, और उसके चंगुल में पूरी तरह आ जातीं। तब उनसे धंधे का काम करवाती। उसके कर्जे में डूबी वो बेबस हो जातीं, उसकी बात मानने के लिए। कोई पुलिस कम्प्लेंट भी ना कर पाती। कोई कुछ बोलता भी तो, वो यही बोलती, मैई बोलीच क्या तुमसे, अपनी मर्ज़ी से आई थी ना तू। एक तो मैं तेरे काम आई, और तू मुझ कू ही बोलेगी। अपुन भी तो करती ना। फिर उसमें लगता कुछ नहीं है, खाली मिलताईच है। तेरे को नहीं मांगता तो मत कर। बस मेरे पैसे चुका दे। मेरे को क्या करना तेरे से। अपने पैसे मांगती है मैं तो बस। पैसा चुका दे, और निकल ले।
और जब वे अपने घर वालों से पूरी तरह से चिढ़ जातीं, और उसके चंगुल में पूरी तरह आ जातीं। तब उनसे धंधे का काम करवाती। उसके कर्जे में डूबी वो बेबस हो जातीं, उसकी बात मानने के लिए। कोई पुलिस कम्प्लेंट भी ना कर पाती। कोई कुछ बोलता भी तो, वो यही बोलती, मैई बोलीच क्या तुमसे, अपनी मर्ज़ी से आई थी ना तू। एक तो मैं तेरे काम आई, और तू मुझ कू ही बोलेगी। अपुन भी तो करती ना। फिर उसमें लगता कुछ नहीं है, खाली मिलताईच है। तेरे को नहीं मांगता तो मत कर। बस मेरे पैसे चुका दे। मेरे को क्या करना तेरे से। अपने पैसे मांगती है मैं तो बस। पैसा चुका दे, और निकल ले।
पर एक दिन पुलिस वालों को
पता चल ही गया। और उसे पुलिस पकड़ के ले ही गयी।
माँ के जेल जाने से रधिया को पैसे की कमी पड़ने लगी। पर वो माँ
से भी ज्यादा शातिर थी।
उसने सोचा, कोई ऐसा काम किया जाए जिसमें
एक पैसे भी ना लगे,
सबको पता भी रहे,
पर ना पुलिस का लफड़ा हो ना ही शरम की बात हो।
एक दिन वो मंदिर में
बैठी यही सब सोच ही रही थी,
कि एक बड़ी सी गाड़ी से एक दंपति उतरे। प्रसाद, फूल- माला आदि ले कर भगवान से
प्रार्थना करने लगे, हे प्रभु, इतना दिया है, तो एक संतान भी दे दें।
उसके बिना सब अधूरा है।
ये प्रार्थना करके वे
चले गए। तो राधिया ने पुजारी से पूछा ये कौन थे बाबा ? वे बोले, बहुत बड़े आदमी हैं। और ऐसे ही लोगों की
संख्या बढ़ती भी जा रही है। बड़े घरों में हम लोगों के यहाँ जैसे जल्दी शादी तो होती
नहीं है। फिर शादी करके भी 5-6 साल निकाल देंगे। इन सब में बच्चे पैदा करने की
उम्र निकल जाती है। फिर भगवान के द्वार आएंगे, कि हे प्रभु एक बच्चा दे दें। अब इसमें भगवान
क्या करें? देरी खुद करो, फिर भगवान को
कोसो। यही करते हैं आजकल तो। पुजारी जी अपना बोलने में लगे थे, पर इससे
रधिया को युक्ति मिल गयी कि कैसे बिना खर्चे के सम्मान का काम मिल सकता है।
वो बोली आप इनका पता जानते हैं, बाबा? अरे इन्हें कौन नहीं जानता? वो पीछे ही तो विशाल कोठी है। अच्छा बाबा, आपको पता है, मुझे भगवान जी
ने कहा है, कि ऐसे जितने भी लोग हैं, मुझे सबका दुख दूर करना है। तो ऐसी कोई भी दंपति आए, तो मेरे पास
भेज देना। सब के कष्ट दूर हो जाएँ शायद। और हाँ भेजना भूलना नहीं, आपके मंदिर का
भी नाम होगा, ये कहते कहते वो चली
गयी।
अगले दिन
भगवा वस्त्र पहन कर वो उस दंपति के घर पहुँच गयी.....
आखिर रधिया को क्या युक्ति सूझी, जिससे वो उस दम्पति के घर पहुँच गयी, जानते हैं कोख के भाग-२ में.....
आखिर रधिया को क्या युक्ति सूझी, जिससे वो उस दम्पति के घर पहुँच गयी, जानते हैं कोख के भाग-२ में.....