इज्ज़त
रचना एक साधारण से परिवार की साधारण सी दिखने वाली लड़की थी। ज़िंदगी अपनी रफ्तार से चल रही
थी। रचना विवाह योग्य हो चुकी थी। उसके लिए रिश्ते आ रहे थे।
उन्हीं दिनों उसकी मुलाकात अपनी बचपन की दोस्त रेखा से हुई. दोनों बड़ी घनिष्ठ सहेलियाँ थीं। रेखा, रचना से कभी अलग नहीं होना चाहती थी, पर अपने पिता के transfer के कारण उसे अलग होना पड़ा।
अब जब इतने दिनों बाद रेखा को रचना मिली, तो उसने उसे अपनी भाभी बनाने का मन बना लिया। रेखा का भाई शिखर, कभी उसकी बात नहीं टालता था। इसलिए वो तैयार हो गया, वो एक उच्च अधिकारी था।
रचना के माता- पिता को तो घर बैठे मन की मुराद मिल गयी, अतः वो भी ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गए। बिना किसी दान-दहेज़ के रचना का विवाह, शिखर से हो गया। विवाह के बाद से अचानक से सभी उसे बहुत इज्ज़त और मान देने लगे।
उन्हीं दिनों उसकी मुलाकात अपनी बचपन की दोस्त रेखा से हुई. दोनों बड़ी घनिष्ठ सहेलियाँ थीं। रेखा, रचना से कभी अलग नहीं होना चाहती थी, पर अपने पिता के transfer के कारण उसे अलग होना पड़ा।
अब जब इतने दिनों बाद रेखा को रचना मिली, तो उसने उसे अपनी भाभी बनाने का मन बना लिया। रेखा का भाई शिखर, कभी उसकी बात नहीं टालता था। इसलिए वो तैयार हो गया, वो एक उच्च अधिकारी था।
रचना के माता- पिता को तो घर बैठे मन की मुराद मिल गयी, अतः वो भी ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गए। बिना किसी दान-दहेज़ के रचना का विवाह, शिखर से हो गया। विवाह के बाद से अचानक से सभी उसे बहुत इज्ज़त और मान देने लगे।
रचना
को इसकी वजह समझ नहीं आ रही थी, कि आखिर शादी होने से ऐसा क्या हुआ है? कि अब सब उसे बेहद मान
देने लगे हैं। सब रचना के आने पर उसकी पसंद-नापसंद सबका ख्याल रखने
लगे थे।
इधर शिखर की post high हो रही थी, उधर रचना का लोगों के द्वारा इज्ज़त
देना बढ़ रहा था।
पर शिखर की high post के साथ ही, व्यसतता भी बढ़ रही थी। जिससे रचना को अब घर काटने लगा था। बहुत सारे आधुनिक साधन से उसका घर सुसज्जित था, चार-चार नौकर भी थे घर में। कुछ दिन तो ये सब उसे बहुत भाए, पर अंततः वो इन सब से ऊबने लगी।
अब शिखर की व्यसतता के कारण, वो आए दिन उस से लड़ने लगी। नौबत दोनों के अलग होने तक की आने लगी।
पर शिखर की high post के साथ ही, व्यसतता भी बढ़ रही थी। जिससे रचना को अब घर काटने लगा था। बहुत सारे आधुनिक साधन से उसका घर सुसज्जित था, चार-चार नौकर भी थे घर में। कुछ दिन तो ये सब उसे बहुत भाए, पर अंततः वो इन सब से ऊबने लगी।
अब शिखर की व्यसतता के कारण, वो आए दिन उस से लड़ने लगी। नौबत दोनों के अलग होने तक की आने लगी।
उन
लोगों के झगड़े की ख़बर सभी जगह बहुत तेज़ी से फैलने लगी, और साथ ही रचना को मिलने
वाली इज्ज़त उतनी तेज़ी से घटने लगी। रचना को समझ नहीं आ रहा था कि इज्ज़त घटने की
वजह क्या है?
तभी
एक दिन रचना की माँ उसके घर आयीं। रचना ने माँ से पूछा, माँ मुझे इज्ज़त मिलना, उसका बढ़ना और फिर अब घटना क्यों शुरू
हो गयी है?
माँ
बोलीं, इसका कारण तेरे पति की post है। जैसे-जैसे उनकी post high हो रही थी, तुम्हारा मान-सम्मान भी
बढ़ रहा था।
अच्छा ठीक है, रचना समझती हुई-सी बोली। पर अब कम क्यों हो रही है, फिर? उनकी पोस्ट तो अभी भी high ही है।
अच्छा ठीक है, रचना समझती हुई-सी बोली। पर अब कम क्यों हो रही है, फिर? उनकी पोस्ट तो अभी भी high ही है।
क्योंकि
अब तुम्हारे झगड़े की ख़बर भी सबको पता चलने लगी है। बेटा, दुनिया बहुत ही मतलबी है।
लोग उन्हें ही इज्ज़त देते हैं, जिनसे उनका काम सधता है। तुम्हारे झगड़े की बात से सब
समझ गए हैं, कि तुम्हारी, उनके काम के लिए कही हुई बातें, शिखर अब नहीं मानेंगे? और अब उनके काम तुम्हारे द्वारा सिद्ध नहीं होंगे।
रचना
को समझ आ गया था, सारा मान उसे अपने पति के साथ रहने पर ही मिलेगा। अलग
होनी की सोच भी उसे सबकी नज़रों से उतार देगी।
अब
तक सब से इतना मान पाने के बाद, रचना सबकी नज़रों से गिरना नहीं चाह रही थी। उसने अपने
पति से सामंजस्य बिठाना शुरू कर दिया, अब उसे फिर सबसे उतनी ही इज्ज़त मिलने
लगी।
पर
अब उसे साथ ही ये भी समझ आ गया था कि दुनिया बहुत ही मतलबी है, और उनका उस के प्रति प्रेम
और इज्ज़त देना सब छलावा ही है। किसी को भी, उसके एकाकी जीवन के कष्ट से कोई लेना-देना
नहीं है।
जब तक कोई भी high post पर है, लोग इज्ज़त देते हैं, क्योंकि उससे उनका काम सधता है। और जहाँ कोई उस post से हटा, इज्ज़त भी कम होने लगती है।
जब तक कोई भी high post पर है, लोग इज्ज़त देते हैं, क्योंकि उससे उनका काम सधता है। और जहाँ कोई उस post से हटा, इज्ज़त भी कम होने लगती है।