तुम बिन (भाग -1) के आगे....
तुम बिन (भाग-2)
सामान
pack कर
के वो कमरे से निकली ही थी, कि
तभी, गरिमा
की सास आ गईं और गरिमा को सामान के साथ देखकर बोलीं बेटा, आज तुम्हारे पग फेरे
का दिन नहीं है।
गरिमा
के अब तक रुके हुए आंसू झरझरा के गिरने लगे...
माँ, उन्हें मेरी कोई चाह
ही नहीं है तो रुकूं किसके लिए?
हमारे
लिए बेटा।
आप
के लिए? तो
क्या आप जानती थीं कि उन्हें मेरी कोई चाह नहीं थी?
बेटा
तुम लोगों की love marriage नहीं arrange marriage हुई है। और इस शादी
में जुड़ते जुड़ते ही जुड़ पाते हैं।
मैं
जानती हूँ कि तुम्हारे case में
बात और ज्यादा difficult है, पर मुझे अपनी गरिमा और
उसके संस्कारों पर उससे भी ज्यादा भरोसा है।
पर
गरिमा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
अच्छा
लाओ, मुझे
अपना सामान दे दो। आज से ठीक 6 महीने बाद तुम्हें यह सामान लौटा दूंगी।
फिर तुम जहाँ कहोगी मैं खुद तुम्हें छोड़ कर आऊंगी।
गरिमा
अपना सामान अपनी सास को देकर अंदर चली गई।
थोड़ी
देर बाद शादी से सम्बन्धित और रस्में शुरू हो गईं। गरिमा और राहुल अपनी अपनी
रस्में निभा रहे थे।
कुछ
दिन बाद सब चले गए, घर
में सिर्फ सास ससुर, राहुल
और गरिमा रह गए थे।
गरिमा
में गुणी बहू के सारे लक्षण थे। उसने बहुत जल्दी सबका मन जीत लिया।
राहुल
अब भी उसकी तरफ मुखातिब नहीं होता था।
वो
अपने दोस्तों में ही रमा रहता।
पर
अब गरिमा भी उसकी बेरुखी से खिन्न नहीं होती थी। वो तो बस 6 महीने काट रही थी।
धीरे
धीरे वो सास ससुर की सेवा के साथ साथ, कब राहुल की पंसद का
ध्यान भी रखने लगी, उसे
पता ही नहीं चला।
उधर
राहुल अपनी पसंद का सब कुछ देखकर चौंक जाता।
राहुल
अपने दोस्तों के घर में अक्सर देखता था कि लड़ाई-झगड़े हुआ करते थे। उन लोगों की
जिन्दगी में कहीं कोई सामंजस्य नहीं था। पति-पत्नी दोनों ही सिर्फ अपने लिए सोचा
करते थे।
एक
दिन राहुल की माँ संजना जी का accident हो गया।
गरिमा
जी जान से उनकी सेवा में जुट गई। उसकी सेवा से संजना जी ठीक होने लगीं।
गरिमा
का मौन समर्पण, उस की सादगी, समझदारी और संस्कारों
का राहुल कायल होने लगा, साथ
ही गरिमा की तरफ कब और कैसे आकर्षित होने लगा, वो भी नहीं समझ पा रहा
था।
संजना
जी पूरा ठीक होते-होते 5 महीने
हो गए।
यह
सोच कर कि अब वो गरिमा को और नहीं रोक सकती हैं, उनकी तबियत बहुत तेजी
से बिगड़ने लगी।
घर
में तीनों उनकी सेवा में जुट गए, पर अबकी बार संजना जी ठीक ही नहीं हो रही
थीं।
आखिर
वही हुआ, जिसका
डर था...
आगे पढ़ें, अंतिम भाग तुम बिन (भाग-3)...