Sushant Singh Rajput - A Mystery
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Sushant Singh Rajput, इस दुनिया से क्या गया, पूरी दुनिया के लिए कई सवाल छोड़ गया।
बातें सिर्फ Film industry तक सीमित होती, तो और बात थी। पर अभी तो यह जन जन तक पहुंच गई है।
हमारा भारत देश ही ऐसा है, बस एक मुद्दा होना चाहिए, फिर वो तूल तो भेड़ चाल में पकड़ ही लेता है।
कोरोना- वोरोना तो अब पुराना हो चुका है, अब ना तो उससे कोई डर रहा है, ना कोई रुक रहा है।
आखिर हर बात की भी एक हद होती है, ऐसे ही नहीं कहते - Show Must go on.
जिंदगी चंद दिनों तक मद्धम हो सकती है, पर थम नहीं सकती।
कोरोना को तो, सुशांत सिंह राजपूत का अचानक से चले जाना, बहुत पीछे छोड़ चुका है।
आज तो हर कोई यह जानना चाहता है कि suicide की सही वजह क्या थी?
और यह suicide ही था या murder?
इन बातों की पुष्टि करता हुआ, हर रोज़ एक नया चेहरा और नयी बात होती है।
कितने ही हितैषी, हमदर्द और कितने ही दोषी हर रोज़ सामने आ रहे हैं।
सब इतना ही उसका साथ देते होते, तो शायद सुशांत सबके बीच होता।
सब बस दिखावा है, ना जाने कितनों ने तो इस मामले को गर्म कर के, अपनी-अपनी रोटी सेंक ली।
मेरे ज़हन में तो अलहदा ही ख्याल आ रहे हैं।
आप यह बताइए, ऐसी कौन सी जगह है, जहाँ lobby नहीं होती है?
माना Film industry में ज्यादा होगी, पर इस बात से सुशांत भी अवगत होगा। वैसे भी जहाँ करोड़ों मिलेंगे, वहाँ competition भी ज्यादा होगा।
Lobby तो जिन्दगी के हर पल में है, चाहे वो media हो या office (सरकारी या गैर सरकारी) बाजार हो या व्यापार। और तो और दोस्त हो या रिश्तेदार। सब जगह है।
इसे ही survival of the fittest कहते हैं।
पर यूँ ही सब जाने लगे, तो जिंदगी से मौत जीत जाएगी।
ना जाने क्या वजह थी, उसके जाने की? पर एक बार अपने, पिता और परिवार के बारे में भी सोच लेता, तो शायद वजह ना होती अनहोनी होने की।
हे ईश्वर ! किसी को इतना मजबूर ना करना कि उसके ज़हन में भी यह ख्याल आये। जिंदगी बहुत बेशकीमती है, कोई उसे यूँ ना गंवाए।