प्रभु की लीला अपरम्पार
दशरथनन्द, भए आनन्द,
हर्षित भई, कौशल्या माई।
श्री हरि की बाल लीला,
कहो केहि विधि कही जाई।।
प्रभु की लीला अपरम्पार। 2।।
लोचन नयन कमल सरिखे,
भृकुटि लगे तनी कटार। 2।।
चन्द्र मुख पर रज सजी ऐसे, - 2
माया संग हरि एकाकार।।
प्रभु की लीला अपरम्पार। 2।।
ठुमक-ठुमक कर चलत प्रभो,
जग में गूंजत है किलकारी। 2।।
झूम उठी पूरी ही धरती, - 2
सुन पैजनियों की झंकार।।
प्रभु की लीला अपरम्पार। 2।।
अधर लालिमा देखत,
भ्रमर भ्रमित भए जाए। 2।।
मुखमंडल पर आभा ऐसी, - 2
दमके उससे संसार।।
प्रभु की लीला अपरम्पार। 2।।
प्रभू श्रीराम की बाल लीलाओं का वर्णन अवधी भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है... कृपया, पढ़कर और सुनकर comment box में जरुर से बताएं, कैसा रहा हमारा प्रयास?
श्री हरि, हम सब पर अपनी असीम कृपा बनाए रखें 🙏🏻🙏🏻❤️
आप सभी को राम लला के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐