पहला सावन (भाग - 1) के आगे पढ़ें...
पहला सावन (भाग-2)
रिया माँ के साथ घर तो लौट आई, पर वो रंजन को ना
भूली।
आगे के हर सावन में उसकी रंजन से मिलने की तड़प बढ़ती
गयी, पर रंजन फिर किसी सावन में नहीं आया। अब तो रिया ने भी सावन में जाना बंद कर
दिया।
आज रिया 24 साल की हो गयी थी, माँ बोली- रिया तुम कितने दिनों से सावन में नानी से मिलने नहीं गयी, अब की चलना, नानी तुम्हें बहुत याद कर रही हैं।
माँ के इतना बोलने से रिया भी साथ चल दी, पूरे रास्ते आज रिया के मन में यही गीत चल रहा था.....
“ कितने सावन बरस गए, मेरे प्यासे नैना तरस गए.......”
रिया को आया देखकर नानी खुशी से खिल उठी, आह! मेरी प्यारी बिटिया आ गयी।
उन्होंने बड़े मामा से कहा, बेटा इस साल खूब सारे झूले लगवाना, मेरी लाडो जो आई है।
ज्यादा झूले..... रिया बस इतना ही बोली।
सारी व्यवस्था बहुत अच्छी थी, पर रिया का मन बुझा ही रहा।
तभी एक बहुत ही smart सा
लड़का उसके पास आया और बोला, रिया सावन के गाने में आज नहीं
झूमोगी?
रिया उसे देखती रही, फिर वहाँ
से जाने लगी, तभी गाना बजने लगा -
“मोहब्बत बरसा देना तू, सावन आया है....तेरे और मेरे मिलने का मौसम आया है........”
और वो लड़का रिया को देख देख कर dance कर रहा था, पर रिया को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा
था। वो वहाँ से चली गयी।
नानी, रिया के पीछे पीछे अन्दर आ गयीं।
क्या हुआ मेरी लाडो?
तुम चली क्यों आई? बचपन में
तो रंजन के साथ ख़ूब dance कर रही थी।
वो रंजन था....... नानी?
हाँ, क्यों? तुमने नहीं पहचाना? वो तो तुम्हें एक नज़र में ही
पहचान गया।
ओह! तभी उसने मुझे रिया बुलाया था, और गाने में झूमने को भी कहा था।
नानी- वो मुझे, कैसे पहचान गया?
आगे पढ़ें, पहला सावन( भाग-3) में........