टिन्नी अपने मम्मी पापा की इकलौती संतान थी। उसके मम्मी-पापा दोनों job करते थे और दोनों ही high post पर थे।
तो दोनों ही के पास समय नहीं था। जिस के कारण, वो टिन्नी की हर बात को सिर-माथे रखते थे। उसकी सारी फरमाइश, जरुरत हो या ना हो, झट पूरी कर देते थे।
टिन्नी के पास, खिलौनों की भरमार थी, फिर भी हर महीने ना जाने कितने और आ जाते।
टिन्नी एक भी खिलौने ढंग से नहीं रखती थी। मंहगे से मंहगे खिलौने, चंद दिनों में ही बेकद्री की भेंट चढ़ जाते।
टिन्नी की माँ ने टिन्नी की देखभाल के लिए एक नई कामवाली को रख लिया।
कामवाली के साथ उसकी बेटी कमली भी आती, जो टिन्नी की हमउम्र थी।
जब तक कमली की माँ काम करती, टिन्नी कमली के साथ खेला करती।
कमली को टिन्नी के खिलौने बहुत भाते, वो बड़ ललचाई नज़रों से उन्हें देखा करती।
एक दिन कमली की माँ भांप गई, कि कमली खिलौने देखकर ललचाती है तो वो अनहोनी के डर से अंदर तक कांप गई। उसे अपने अच्छे काम छूटने का डर सताने लगा।
उसने कमली को बहुत समझाया, कि दूसरे की चीज़ देखकर नहीं ललचाते, पर कमली का बाल मन खिलौने देखकर, सब भूल जाता।
एक दिन कमली नहीं आयी, केवल उसकी माँ ही आयी।
उस दिन टिन्नी के मम्मी पापा देर से आने वाले थे।
तो टिन्नी पीछे पड़ गई, कि उसे कमली से मिलने जाना है।
कमली की माँ समझाने लगी, उनका घर बहुत छोटा है, टिन्नी को वहाँ अच्छा नहीं लगेगा।
चलना है, चलना है, कहकर टिन्नी रोने लगी।
कमली की माँ, उसे अपने साथ ले गयी। जब टिन्नी वहाँ पहुंची तो उसने देखा, घर सचमुच बहुत छोटा था। पर कमली को देख कर वह बहुत खुश हो गई।
कुछ देर बाद वो कमली के पीछे पड़ गई कि कमली अपने खिलौने लेकर आए, और वो लोग खेल सके।
कमली अपने पुराने और टूटे-फूटे खिलौने लेकर चली आई।
टिन्नी ने देखा, कमली ने पुराने और टूटे-फूटे खिलौने भी बहुत संभाल कर रखे थे।
टिन्नी का पुराने और टूटे-फूटे खिलौनों में बहुत मन नहीं लगा, वो जल्दी अपने घर लौट आई।
आते ही सब से पहले वो अपने खिलौनों के पास गयी।
शाम को जब मम्मी पापा घर आए, तो उन्होंने देखा कि टिन्नी ने अपनी खिलौनों की shelf को बहुत अच्छे से सजा लिया था। साथ ही कुछ खिलौने उसने नीचे भी सजाकर रखें थे।
उन लोगों ने टिन्नी की, shelf सजाने के लिए बहुत सारा प्यार किया और तारीफ भी की।
फिर उन्होंने पूछा, कुछ खिलौने नीचे क्यों हैं?
तो टिन्नी ने बताया कि वो आज कमली के घर गयी थी, जहाँ उसने अपने पुराने, टूटे-फूटे खिलौने भी बहुत संभाल कर रखे थे।
यह देखकर उसने decide किया कि वो भी अपने खिलौने भी ढंग से रखेगी। साथ ही कुछ अच्छे खिलौने कमली को भी दे दे, जिससे कमली को पुराने, टूटे-फूटे खिलौनों से ना खेलना पड़े।
टिन्नी के मम्मी पापा उसकी, समझदारी व अच्छी सोच से बहुत खुश हुए।
टिन्नी अब सारे खिलौने बहुत ढंग से रखने लगी, हर महीने ढेरों खिलौने लेना भी उसने बंद कर दिया।
कमली, अब टिन्नी के खिलौने देखकर ललचाती नहीं थी, पर अब उसे टिन्नी से बहुत प्यार हो गया था।