भंडारा बजरंगबली का
कल हनुमान जन्मोत्सव पर दिल्ली में अलग ही रौनक थी। हम अपनी खिड़की पर खड़े होकर प्रकृति के नज़ारे देख रहे थे।
इस खिड़की पर खड़े होकर, प्रकृति को निहारते हुए हमारी अनेकों कृतियों ने जन्म लिया, फिर चाहें वो कहानियां हों, कविता हो या लेख, या कोई नई सोच या नया विचार, सभी ही तो...
अभी हम बाहर देख ही रहे थे तो, देखते क्या हैं, बहुत सारे लोग, जिसमें आदमी, औरतें और बच्चे सब ही तो शामिल थे।
सज-धज कर जा रहे थे, उनमें एक अलग सा ही उत्साह और उल्लास दिख रहा था।
समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा भी क्या है? जो लोगों का रेला उमड़ पड़ा है...
पति office, बिटिया college और बेटा school गए थे, इसलिए और कुछ समझ नहीं आ रहा था।
हमारा first floor पर ही flat है और नीचे ground floor पर एक press वाला खड़ा होता है, जो apartment के सभी लोगों के कपड़े press करता है।दिन भर उसका पूरा परिवार यहीं रहता है।
उसके पास एक आदमी आया और बोला कि, यहां क्यों बैठे हो भाई? तैयार हो जाओ सब लोग..
पर किस लिए? Press वाले की पत्नी बोली, फिर अभी खाना खाने का समय भी हो रहा है..
अरे भाभी, खाना रख दो रात के लिए, अभी तो भंडारे में चलो..
भंडारा कहां चल रहा है? और किस लिए चल रहा है?
अरे भाभी सवाल बहुत करती हो, अपने बजरंग बली का जन्मोत्सव है और आज तो दिल्ली में कहीं भी चले जाओ, भंडारे की बहार है।
उनकी बातें सुनकर एहसास हुआ कि भगवान हनुमानजी के जन्मोत्सव का जश्न चल रहा था, जिसमें सारे बढ़े-चले जा रहे थे।
कुछ ही देर में भजन गाते हुए कुछ लोग जाते हुए दिखे।
उनके जाने के थोड़ी देर बाद, हनुमान लला की जय व जय श्री राम के नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। उस जुलूस के सभी लोग भक्ति और प्रेम से ओतप्रोत थे..
एक अलग सा भक्तिमय वातावरण था, बहुत ही सुखद अनुभव था।
शाम तक पति, बिटिया और बेटा भी आ गए थे, वो लोग बता रहे थे कि पूरी दिल्ली में जगह-जगह पर भंडारे व भजन कीर्तन का आयोजन किया गया था।
उन लोगों की बातों को सुनकर यही प्रतीत हुआ कि कल पूरी दिल्ली ही हनुमानजी की भक्ति में लीन थी।
माता रानी के भंडारे, राम नवमी का भंडारा तो बचपन से देखते आ रहे हैं, लखनऊ में जेठ में बड़े मंगल के हनुमानजी के भी बहुत से भंडारे होते हैं।
पर चैत्र में बजरंगबली के इतने भंडारे कि पूरी दिल्ली ही भक्तिमय हो जाए, यह इस साल ही हुआ...
और ऐसा सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि भारत के बहुत सारे शहरों में हुआ है..
ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण तो आप सब जानते ही हैं..
है ना?
बहुत से लोग कहते हैं, क्या होता है हिन्दुत्व को बढ़ाने से?
तो इसका एक बहुत बड़ा effect तो यह दिखा कि बहुत से लोगों ने भंडारा करके ईश्वर की कृपा, भक्ति, बहुतों का आशीर्वाद, स्नेह और तृप्ति के असीम सुख की प्राप्ति की। वहीं जिन्होंने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया, उन्होंने भी ईश्वर की कृपा, भक्ति और असीम सुख प्राप्त किया। यह तो रहा आध्यात्मिक लाभ...
अब monetory benefit देखा जाए तो कल बहुत से गरीब लोगों ने भरपेट खाना खाया। भंडारे में प्रसाद देते समय किसी से भी उसका धर्म, जात-पात, अमीरी-गरीबी, कुछ नहीं पूछा जा रहा था।
जिन्होंने भंडारा किया, उनके पास से भी कुछ बहुत ज्यादा खर्च नहीं हुआ, क्योंकि किसी एक ने नहीं, बल्कि बहुत से लोगों ने यह पुन्य कार्य किया।
उन्होंने भंडारा करवाते समय यह नहीं सोचा कि हमारा कितना खर्च हो जाएगा, बल्कि उन्होंने यह कार्य सहर्ष इस भावना से किया कि...
हरि का पैसा,
हरि का काम,
मैं तो सेवक
तेरा हनुमान
जय श्री राम
जय श्री राम
यही है हिन्दुत्व, जहां पुन्य कार्य करते समय मन में स्वार्थ नहीं परमार्थ रहता है। जहां यह पुनीत कार्य करते समय घमंड नहीं गर्व रहता है कि हे प्रभु आप ने मुझे चुना, यह शुभ कार्य करने के लिए। मुझमें सदैव इतना सामर्थ्य रखना कि मैं आजीवन आपकी सेवा कर सकूं🙏🏻
हिन्दुत्व का अर्थ, मात्र हिन्दू धर्म नहीं है, उसमें मानवता, आपसी प्रेम और विश्वास निहित रहता है।
विश्वास परमात्मा पर भी और खुद पर भी...
और अगर इस हिन्दुत्व को बढ़ावा मिल रहा है तो मिलना ही चाहिए, क्योंकि यही है जो राम राज्य लाएगा।
क्योंकि, दुनिया चले ना श्री राम के बिना,. राम जी चले ना हनुमान के बिना।
हे ईश्वर! सदैव मेरी भक्ति स्वीकार कीजिएगा और उन सब की भी जो आपके अनन्य भक्त हैं 🙏🏻🙏🏻
जय श्री राम, जय हनुमान 🙏🏻🙏🏻🚩