संस्कार
आजकल जब भी news paper उठाएँ, आधा paper crime से
ही भरा मिलता है। किसी की चंद रुपयों की खातिर, या बदला
लेने के लिए हत्या कर दी गयी, दिन दहाड़े चोरी हो गयी, एक लड़की
के साथ बहुत से लोगों ने.....
दिल दहल जाता है, ऐसी
घटनाओं को पढ़कर, तो सोचिए जिनके साथ ऐसा होता है, उन पर
क्या बीतती होगी?
बहुत सोचा ऐसा क्या है जो
बहुत तेज़ी से बदलता जा रहा है? क्यों समाज में इस कदर crime बढ़ता जा
रहा है?
बस एक ही जवाब, कौंधा- लुप्त
होते संस्कार
आपको नहीं लगता, भारत
में बहुत तेज़ी से संस्कार ही नहीं संस्कार शब्द भी विलुप्त होता जा रहा है?
आज-कल हम संस्कारों को
बकवास, old fashion, आदि की संज्ञा देकर उनसे दूर होते जा रहे हैं।
बड़ों के पैर छूना, उनको आदर
देना, उनकी सेवा करना।
मेहमान को ईश्वर तुल्य समझ कर, उनके आने पर प्रसन्न होना, उनकी आवभगत करना।
त्यौहारों में घरों में विभिन्न पकवान बनाना, उत्साह और उमंग से सभी रीति-रिवाज पूर्ण करना।
बच्चों के साथ समय व्यतीत करना, उन्हें सही-गलत की सीख देना।
उन्हें अपने सभी काम खुद से करने की सीख देना। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं है, सभी को समान दृष्टि से देखें।
स्त्रियों का सम्मान करें, उन्हें बुरी दृष्टि से ना देखें।
जो आपका नहीं है, उसका ना तो लालच करें, ना दूसरों से छीने, ना चिढ़े-जलें, ना बदले की भावना रखें, बल्कि मेहनत करके उसे पाने की कोशिश करें।
जो चीज़ अपनी मेहनत से मिलती है, वो हमेशा आपकी रहती है। और मेहनत करके प्राप्त करने से ही सबसे ज्यादा खुशी मिलती है।
असफलता से हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, सतत परिश्रम करने वाले को मंजिल अवश्य मिलती है।
Life short cuts से नहीं चलती है।
बेईमानी, धोखा, झूठ और चोरी केवल क्षणिक खुशी देते हैं, इसके सहारे ज़िंदगी नहीं कटती है।
मेहमान को ईश्वर तुल्य समझ कर, उनके आने पर प्रसन्न होना, उनकी आवभगत करना।
त्यौहारों में घरों में विभिन्न पकवान बनाना, उत्साह और उमंग से सभी रीति-रिवाज पूर्ण करना।
बच्चों के साथ समय व्यतीत करना, उन्हें सही-गलत की सीख देना।
उन्हें अपने सभी काम खुद से करने की सीख देना। कोई काम छोटा या बड़ा नहीं है, सभी को समान दृष्टि से देखें।
स्त्रियों का सम्मान करें, उन्हें बुरी दृष्टि से ना देखें।
जो आपका नहीं है, उसका ना तो लालच करें, ना दूसरों से छीने, ना चिढ़े-जलें, ना बदले की भावना रखें, बल्कि मेहनत करके उसे पाने की कोशिश करें।
जो चीज़ अपनी मेहनत से मिलती है, वो हमेशा आपकी रहती है। और मेहनत करके प्राप्त करने से ही सबसे ज्यादा खुशी मिलती है।
असफलता से हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, सतत परिश्रम करने वाले को मंजिल अवश्य मिलती है।
Life short cuts से नहीं चलती है।
बेईमानी, धोखा, झूठ और चोरी केवल क्षणिक खुशी देते हैं, इसके सहारे ज़िंदगी नहीं कटती है।
क्या आपको भी नहीं लगता? अब ये
सब बातें केवल moral science की books तक ही सीमित रह गयी हैं।
ये कितनी बड़ी त्रासदी है, कि जो
बातें हमने अपने माँ-पापा से ज़िंदगी में बड़े होते-होते सीख ली थी, आज
बच्चों को वही बातें सीखने के लिए moral
science subject का सहारा लेना पड़ता है।
पर इन सब का ही नतीजा है, कि देश में, मारकाट, हत्या, चोरी-चकारी, झूठ, बेईमानी, छीना-झपटी, आतंकवाद, लड़कियों के साथ छेड़छाड़, ..... आदि की दरें दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
अगर देश का प्रत्येक
नागरिक अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे, तो सभी एक दूसरे के बारे में अच्छा ही सोचेंगे, अच्छा
ही करेंगे। दूसरों का सम्मान करेंगे, सब से प्रेम करेंगे। मेहनत को सर्वोपरि समझेंगे।
तो आप ही बताइये, क्या
ऐसा होने से स्वस्थ और सुरक्षित समाज का गठन नहीं होगा?
सब कुछ मोदी जी, पर मत
छोड़िए। कुछ काम हमें भी करने होंगे, क्योंकि वो हमारे द्वारा ही संभव हो सकते हैं। तो सोच
क्या रहे हैं?
आइये हम सब शपथ लेते हैं, कि आज
से बेटा हो या बेटी दोनों में ही अच्छे संस्कार develop करेंगे।
और स्वस्थ समाज को बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे। और भारत को भारतीयता
के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर ले जाएंगे।
जो छोड़ चुके हैं
चलो फिर से करते हैं
भारत को फिर से
पहले सा भारत करते हैं
जो छोड़ चुके हैं
चलो फिर से करते हैं
भारत को फिर से
पहले सा भारत करते हैं