यह एक ऐसी कहानी है, जिससे हर एक लड़की जुड़ी हुई है।
बंटवारा प्रेम का (भाग - 3) के आगे पढें...
बंटवारा प्रेम का (भाग - 4)
इतने सारे लोगों के साथ, reception में जाना पापा को अच्छा नहीं लग रहा था, क्या कहेंगे, खुशी के ससुराल वाले, सोच सोच कर वो परेशान हो गए।
आखिरकार उन्होंने खुशी के ससुर जी को फोन लगा दिया...
दीपक जी, कैसे हैं आप सब?
बहुत बढ़िया, राजशेखर जी, बहुत प्यारी बच्ची है खुशी... अभी, एक दिन भी नहीं हुए हैं और उसने सबका दिल जीत लिया है, अब हमारे घर में हर एक बस खुशी के पास ही रहना चाह रहा है।
जी, बिल्कुल सच में खुशी ऐसी ही है। राजशेखर जी ने आनंदित होते हुए बोला..
अच्छा, आप लोग रात में आ रहे हैं ना? बिल्कुल समय से आ जाइएगा, खुशी बिटिया को आप सबका इंतजार रहेगा। दीपक जी ने पूछा..
जी, हम समय पर तो आ जाएंगे, पर एक problem है... राजशेखर जी ने सकुचाते हुए बोला...
Problem! क्या problem है? समधी जी...
दीपक जी, आपने कहा था ना कि हर कोई खुशी के पास ही रहना चाहता है, बस वही problem है।
मतलब?
हमारे यहां सभी लोग, खुशी से मिलना आना चाह रहे हैं, जिसको मना करेंगे, उसका दिल टूट जाएगा, तो... आप से कैसे कहें, हम 50-60 लोग हैं।
अरे तो क्या हो गया, आप जितने भी लोग हैं, सब आ जाइए। दीपक जी हंसते हुए कहा...
सब आ जाएं? राजशेखर जी अभी भी सकुचा रहे थे।
बिल्कुल, ज्यादा मत सोचिए, बस समय से आ जाइएगा। हमें आप सबका इंतजार रहेगा, राजशेखर जी...
Reception में सब पहुंच गए। उन सबको देखकर, खुशी बहुत प्रसन्न हो गई। वो बहुत सुन्दर लग रही थी।
मालती ने जब खुशी को बताया कि, सब लोग नहीं आ पाते, अगर दीपक जी, तुम्हारे पापा को ना कहते कि बिना संकोच के आ जाएं।
खुशी को सुनकर बहुत अच्छा लगा कि उसके ससुर जी बहुत अच्छे हैं।
राजशेखर जी, जाते जाते, खुशी को लंबी list दे गये, और बता गए कि उसे और अनंत को बहुत सारे लोगों ने अलग अलग दिन अपने घर पर खाने के लिए बुलाया है।
खुशी ने अगले दिन अनंत को वो list दिखाई तो अनंत बोला, पर पापा ने हमारे लिए 1 month का world tour book कर दिया है, जिसके लिए हमें दो दिन में ही निकलना होगा...
दो दिन में ही?
हाँ, तुम अच्छे से सारी packing कर लेना।
खुशी बहुत पशोपेश में पड़ गई, आज तक उसने अपने पापा का कहा हुआ कभी नहीं टाला था।
पर अपने ससुर जी को मना करने की बात भी उसे उचित नहीं लग रही थी...
आगे पढें, बंटवारा प्रेम का (भाग - 5) में...