फागुन का रंग, रस, माधुर्य से परिपूर्ण मास चल रहा है। इस मास में हवाएं भी ऐसी चलती है कि सब ओर प्रेम ही प्रेम विद्धमान रहता है। उस का असर कुछ ऐसा होता है कि सजीव तो सजीव, निर्जीव वस्तुओं के सुर भी बदल जाते हैं।
इस सुर को ही अपनी आज की कविता में पिरोया है। आइए उसका आनंद लेते हैं।
Love Stories
हवा चली ज़ोर से
तो window बोली
door से
सुन रहे हो
जो खट-खट
वो मेरे heart की है
धक-धक
क्या मस्त हवा है
मौसम romantic हो चला है
Flowers महक रहे हैं
पंछी चहक रहे हैं
काश आज कोई
sweets ले आए
मद्धम सी light की
Candle जलाए
चलो हम भी इंसानों-सा
थोड़ा रोमानी हो जाएँ
हमको personify करके
कोई हमारी feeling को
समझ पाए
जितनी हो requirements बस
मकान उतने ही बनाएँ
जिससे लहराते रहे वृक्ष
और चलती रहें हवाएँ
उन्हें काटकर
Window and door
ना बनाए जाएं
हम भी रह सकें सजीव
निर्जीव ना हो जाए
और इस romantic से
मौसम में, यूँ ही
Love stories बनती जाएँ...
आज कुछ अलग सी कविता लिखी है, जैसी आजकल ज्यादा पसंद की जा रही है। जिसमें रस भी है और उन्मुक्तता भी, जो प्यार के एहसास को जगाती है और ना बोलने वाली वस्तुओं को भी धड़कन और आवाज़ दे जाती है।
एक अलग प्रयास किया है, बताइएगा कि आप को कैसा लगा?....