हर बार की तरह, इस सावन में भी गीतों से सजी कहानी share कर रहे हैं, आप सब से अनुरोध है कि इसे भी अपना वही प्यार दीजिएगा, जो प्यार आपने पिछली कहानियों को दिया था।
सुहाना सावन (भाग-1)
शिखा के पास bank से फोन आया कि, Ma'am, आप की FD mature हो गई है तो आकर renewal करा लीजिए।
शिखा ने कहा, ठीक है कल ही आऊंगी bank...
फोन रखने के साथ ही वो अपनी FD ढूंढने लगी, जो कि mature हो गई थी।
वो खोज-बीन कर ही रही थी कि उसे FD के साथ ही एक लिफाफा भी रखा मिला।
उसने FD और लिफाफा दोनों ही उठा लिया। जब लिफाफा खोला तो उसमें रखे पत्र को पढ़कर उसकी आंखों से बरबस अश्रु धारा बहने लगी।
वो भूली दास्तां,
लो फिर याद आ गई,
नज़र के सामने घटा सी छा गई...
अंकुर और शिखा, दो जिस्म एक जान थे। पूरे कालेज में जितना शिखा की खूबसूरती के चर्चे थे, उतना ही उनकी प्रीत के किस्से मशहूर थे।
शिखा को कालेज का पहला दिन याद आ गया, जब वो घर से निकली थी, मौसम बहुत सुहाना था, साथ ही उसका मन भी बहुत सारे सपने बुन रहा था।
वो पढ़ने में बहुत होशियार थी, तो list में सबसे ऊपर उसका नाम था, इस बात पर उसे घमंड भी था।
जब वो कालेज पहुंची, बहुत से लड़कों की line लग गई उसके पीछे, पर अंकुर, उसने तो जैसे शिखा की ओर नज़र भर कर देखा भी नहीं, जबकि शिखा लगभग उसके बगल मे ही जाकर खड़ी हो गई।
अंकुर का यह व्यवहार, शिखा को बड़ा ही नागवार गुजरा। क्योंकि उसे हमेशा अपनी खूबसूरती के दीवाने ही मिले थे। अंकुर जैसा पहला निर्मोही मिला था।
अब तो आए दिन वो अंकुर के ही इर्द-गिर्द घूमती रहती, पर अंकुर, इस बात से बेपरवाह रहता कि college की सबसे हसीन लड़की, उसके आसपास मंडरा रही है।
इस दीवाने लड़के को कोई समझाए,
प्यार मोहब्बत से ना जाने क्यों यह घबराए...
आगे पढें - क्यों नहीं है, एक साथ शिखा और अंकुर...
सुहाना सावन (भाग-2) में...