सुधा ने अपने बेटे आर्यन का विवाह श्रेया से कराया। सुधा के इस विवाह से बड़े अरमान थे. पर सुधा और श्रेया में बिलकुल भी नहीं बनती है,प्रेमा मौसी जो सुलझे ख्यालात की हैं, उन्होंने कैसे सब व्यवस्थित किया ।
अब आगे...
बस एक कदम (भाग -३)
प्रेमा बहुत ही सुंदर embroidery
वाला colour
full मखमली suit श्रेया के लिए और jeans
और long
top सुधा के लिए लायी। और
दोनों को दे दिया। बोली आज ऐसा ही पहनेंगे।
Suit बहुत
सुंदर था तो श्रेया तो लेके चली गयी, पर सुधा आना-कानी करने लगी। प्रेमा ने
झूठमूठ का गुस्सा दिखाया, क्या
जिज्जी, आपसे अच्छी तो श्रेया है, तुरंत मान गयी, आप
तो मेरी सुनती ही
नहीं हैं। सुधा भी ड्रेस ले के चली गयी। जब दोनों तैयार हो कर आयीं, तब
तक आर्यन भी आ गया
था। वो दोनों को देखता ही रह गया।
श्रेया, जहाँ
गज़ब की सुंदर लग रही
थी।
वहीं सुधा हद की smart, आर्यन ने दोनों के लिए कसके सीटी बजाई। दोनों ही शरमा गए। सब मिल के movie देखने गए। आज श्रेया को भी लग रहा था, कि वो बहुत ही सुंदर लग रही है, और मखमली कपड़ा उसे बहुत गुदगुदा रहा था। वहीं सुधा को आज पहली बार साड़ी का पल्लू सभालने की चिंता नहीं थी। घर आ कर सुधा बोली, श्रेया आज से तुम जो पहनो, मुझे कोई एतराज नहीं है, सच में western dresses को सभालने का कोई झंझट नहीं रहता है। श्रेया बोली, माँ मुझे भी suit बहुत पसंद आया, अब से कभी कभी suit भी पहनूंगी। सब प्रसन्न थे।
वहीं सुधा हद की smart, आर्यन ने दोनों के लिए कसके सीटी बजाई। दोनों ही शरमा गए। सब मिल के movie देखने गए। आज श्रेया को भी लग रहा था, कि वो बहुत ही सुंदर लग रही है, और मखमली कपड़ा उसे बहुत गुदगुदा रहा था। वहीं सुधा को आज पहली बार साड़ी का पल्लू सभालने की चिंता नहीं थी। घर आ कर सुधा बोली, श्रेया आज से तुम जो पहनो, मुझे कोई एतराज नहीं है, सच में western dresses को सभालने का कोई झंझट नहीं रहता है। श्रेया बोली, माँ मुझे भी suit बहुत पसंद आया, अब से कभी कभी suit भी पहनूंगी। सब प्रसन्न थे।
अगले दिन से सुधा और श्रेया में बातें होने लगी, दोनों ही एक दूसरे की पसंद का ध्यान रखने
लगे। अब कोई भी अकेला नहीं था। दुखी नहीं था।
प्रेमा के जाने का वक़्त आ गया था, उसका काम भी
पूरा हो गया था। उन्होंने आर्यन को बोला बेटा दो दिन बाद मेरी train है, station
छोड़ देना।
मौसी आप जा रहीं हैं, आर्यन दुखी हो कर बोला। हाँ बेटा तेरे
मौसा जी मेरी राह देखते
होंगे। फिर यहाँ का काम तो खत्म हो गया। मौसी आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
आप ही हैं, जो
सब संभव कर सकती
हैं।
बेटा उसमें कुछ नहीं है, बस
एक कदम चलने की, अपनी
बात सूझबूझ और प्यार के साथ
रखने की आवश्यकता होती है। अकेले कोई खुश नहीं रह सकता, सबको ही साथ चाहिए होता है।
मौसी चली गयीं, पर
जाने से पहले अपनी जिज्जी का
अकेलापन भर गईं थीं। आज वो अपने बहू-बेटे के साथ बहुत खुश थीं, श्रेया और आर्यन भी।