आज देव उठान का पावन पर्व है, जिसमें देवों को जाग्रत करने की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही इसमें तुलसा जी की भी पूजा की जाती है, जिसमें तुलसा जी और शालीग्राम जी का विधिवत विवाह भी किया जाता है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि तुलसा जी और शालीग्राम जी का विवाह क्यों सम्पन्न किया जाता है, देव उठान से जुड़ी बातें, और देव उठनी में चावल क्यों नहीं खाते हैं, सब आपको इन दोनों post में मिल जाएगा...
बचपन से अपनी नानी जी से तुलसा जी की यह आरती सुन रहे हैं, जिसे अब मम्मी, मौसी सभी करते हैं। उनकी सुरीली आवाज़ में यह बहुत ही अच्छी लगती है।
यह भी कह सकते हैं, इस आरती में नानी जी का आशीर्वाद भी शामिल है।
उनकी याद में आज, उनकी यही आरती share कर रहे हैं, आवाज़ तो नहीं पर बोल वही हैं, आप सब इसका आनंद लें व आशीर्वाद प्राप्त करें...
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी
मैं तुमसे पूछूं हे तुलसा रानी
काहे का फूल?
काहे के चावल?
काहे का हार,
चढ़ावे सारी जाति?
गुलाब का फूल,
साठी के चावल,
पियाबासा का हार,
चढ़ावे सारी जाति..
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी
मैं तुमसे पूछूं हे तुलसा रानी
कहे का दिया?
काहे की बाती?
काहे का घीया,
जले सारी रात?
सोने का दिया,
कपूर की बाती,
गाय का घीया,
जले सारी राती...
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी
मैं तुमसे पूछूं हे तुलसा रानी
काहे का थाल?
काहे को गडुआ?
काहे का भोग,
लगावे सारी जाति?
सोने का थाल,
रूपए का गडुआ,
मोहन भोग,
लगावे सारी जाति...
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी
मैं तुमसे पूछूं हे तुलसा रानी
कउन तुमरा बाप?
कउन महतारी?
किसकी हो तुम,
सदा प्यारी?
मेघ मेरा बाप,
धरती महतारी,
कृष्ण की हम,
सदा प्यारी
तुलसा आरती करहूं तुम्हारी -2
आप सभी को देव उठान व तुलसा विवाह की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐