अभी तक बच्चों की लिखी कहानियों में
हमने बाल समस्या को माध्यम बनाया था,
अभी भी बहुत समस्या बची होंगी। अगर आपको लगता है की मेरी लिखी कहानियों से आप
बाल-मन को ज्यादा अच्छे से समझा पा रहे हैं, और आपकी कोई समस्या
है, तो आप हमें बता सकते हैं, हम उस समस्या पर अवश्य कहानी लिखने का प्रयास करेंगे।
पर तब तक बच्चों के लिए बाल –सुलभ
कहानियाँ लिख रहे हैं।
तितली
छोटा सा चीनूँ, दिन भर मस्ती करता फिरता। कभी खेतों में निकल जाता, कभी नहर की ओर निकल जाता। और घर तो जनाब शाम ढले ही आते, वो भी तब जब माँ, किसी को बुलवाने
भेजती। प्यारा तो वो
जितना था, उससे
भी ज्यादा प्यारी
उसकी बातें हुआ करती थी। गाँव भर का लाडला था। जिसके भी घर
के बाहर से निकलता
था, सब
उससे बातें करने बैठ जाते और वहीं पर वो कुछ खा भी लेता। तो भूख
लगने पर भी उसे माँ की याद नहीं आती थी। पर सोने के समय उसे माँ के अलावा कोई नहीं
भाता था।
एक दिन ऐसे ही चीनूँ खेतों में मस्ती कर रहा था। तभी न
जाने कहाँ से सुंदर तितिलियों का झुंड
खेतों पर मंडराने लगा। उन्हें देख कर चीनूँ उनके पीछे पीछे भागने लगा।
उनके पीछे पीछे भागता भागता वो कब गाँव की सरहद पार कर गया, उसे पता ही नहीं चला। शाम घिर आई, पर चीनूँ अब तक घर नहीं लौटा। माँ ने गाँव में सब से पूछ लिया पर किसी को चीनूँ के बारे में पता नहीं था। गौरी रोने लगी, उसे रोता देख कर गाँव वाले बोले, अरी गौरी रो मत, हम देख कर आते हैं। बच्चा है, कहीं खेल रहा होगा!
उनके पीछे पीछे भागता भागता वो कब गाँव की सरहद पार कर गया, उसे पता ही नहीं चला। शाम घिर आई, पर चीनूँ अब तक घर नहीं लौटा। माँ ने गाँव में सब से पूछ लिया पर किसी को चीनूँ के बारे में पता नहीं था। गौरी रोने लगी, उसे रोता देख कर गाँव वाले बोले, अरी गौरी रो मत, हम देख कर आते हैं। बच्चा है, कहीं खेल रहा होगा!
दो चार लोगों के झुंड में गाँव वाले फैल गए,पर चीनूँ का कहीं पता नहीं चल रहा था। रात होने को
चली, पर
चीनूँ का पता न था।
उधर चीनूँ जंगल में पंहुच गया था, और उसे गाँव
लौटने का रास्ता सूझ नहीं रहा था, आज वो पहली
बार माँ के बिना था। उसे अब डर भी लग रहा था। पर क्या कर सकता था, एक
पेड़ पर चढ़ कर सो
गया। सुबह रामू चाचा, जंगल
से नीम की दतून लेने
आते थे, उन्होने
चीनूँ को देखा, तो घर ले आए। घर पंहुच कर चीनूँ माँ से चिपक गया। चीनूँ को आया देख कर गौरी शांत हुई, बोली कहाँ गया था रे, माँ वो तितली
....... हे भगवान तेरी तितलियों ने मेरी जान निकाल दी। चीनूँ भी रोते रोते बोला, अब से कभी भी
तितली के पीछे नहीं
जाऊँगा।
नहीं अब से तो बस घर के बाहर ही खेलेगा, कहीं
नहीं जाएगा। माँ ने कड़क हो कर बोला।
चीनूँ फिर कभी दूर नहीं गया, तितली के पीछे
तो बिलकुल भी नहीं।