भारत, संस्कृति और परम्पराओं का देश है, जहां अनेकानेक देवी और देवताओं की पूजा की जाती है।
कुछ लोग इसे अंधविश्वास और पिछड़ापन भी मानते हैं, पर वास्तविकता यह है कि जो देश अपनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़ा रहता है, वही सनातन भी रहता है।सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त। और यही विशेषता है, भारत की और हिंदूत्व की...
सभी को देव तुल्य पूजना आप को निम्न नहीं बल्कि श्रेष्ठ बनाता है। जब हम किसी को पूजनीय समझते हैं, तो उसको मान सम्मान और आदर प्रदान करते हैं।
यह बात तय है कि जिस किसी को भी मान सम्मान आदर और प्रेम दिया जाएगा, उससे पलट कर आप को सुख ही मिलेगा। फिर वो चाहे प्रकृति से हो या रिश्तों से...
आज हम हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले नागपंचमी पर्व के विषय में बात कर रहे हैं।
नागपंचमी पर्व का महत्व और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शु्क्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक काल से सर्प देवताओं की पूजन की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का भय खत्म हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की आराधना करने से जातकों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस बार नागपंचमी में शुभ योग बन रहा है, आइए जानते हैं कैसे...
नागपंचमी का शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक प्रमुख त्योहार है और यह पर्व सावन के महीने में मनाया जाता है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय माह होता है। जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा आराधना होती है। भगवान शिव के गले में नाग देवता हमेशा लिपटे रहते हैं और नाग भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा-उपासना करने पर नाग देवता के साथ भोलेभंडारी भी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। नाग पंचमी के पर्व पर सभी प्रमुख नाग मंदिरों में नाग देवता की पूजा होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प संबंधी दोष होता है तो इससे मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन उपाय किए जाते हैं।
इस वर्ष नाग पंचमी पर बहुत ही अच्छा और शुभ संयोग बन रहा है। नाग पंचमी का त्योहार सोमवार के दिन पड़ रहा है। सोमवार का दिन भगवान शिव का समर्पित है और यह सावन महीने का अधिकमास की समाप्ति के बाद का सोमवार भी होगा। जिसमें पुनः मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं ..
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 22 अगस्त की रात्रि 02 बजे समाप्त हो जाएगी।
इस तरह से नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त 2023, सोमवार के दिन है। नाग पंचमी पर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा का विधान होता है।
नाग पंचमी के शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी के दिन 2 शुभ योग का निर्माण हो रहा है। 21 अगस्त को सुबह से लेकर रात 09 बजकर 04 मिनट तक शुभ योग होगा। फिर इसके शुक्ल योग शुरू हो जाएगा।
ऐसे में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक निर्धारित किया गया है। साथ ही सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त होगा।
इस दिन नाग व सांपों को दूध से स्नान, पूजन और दूध पिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
जिन जगहों में सपेरे नाग को लेकर नहीं पहुंच पाते हैं, उन घरों में दरवाजे के चौखट की दोनों दीवारों पर नाग के चित्र बनाए जाने की परंपरा होती हैं और उनका पूजन किया जाता है। मान्यता है कि घर नाग कृपा से सुरक्षित रहता है.
इसमें, सिवंई, चना व पक्के खाने का भोग लगता है। मीठे में अनरसे व घेवर का भी प्रचलन है।
नागपंचमी का महत्व
सनातन धर्म में नाग पंचमी के बहाने नागों की रक्षण का व्रत लिया जाता है। नागों की रक्षा से पर्यावरण संतुलित रहता है। सांप सामान्यतया किसानों के लिए हितकारी हैं, सांप फसलों को नष्ट करने वाले कीट-पतंगों को खा जाते हैं जिससे की फसलें अच्छी होती हैं। सांप फसलों को खाने वाले चूहों को भी खा जाते हैं । इस प्रकार हमारे फसल चक्र के लिए सांप एक आवश्यक प्राणी है।
साथ ही जो पंचमी को नागों का पूजन करता है उस पर नागों की विशेष कृपा रहती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प संबंधी दोष होता है तो इससे मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन उपाय किए जाते हैं।
भविष्य पुराण में सांपों के लक्षण स्वरूप और जातियों के बारे में भी वृहद वर्णन भी है। इससे पता लगता है कि हमारे पुराने ऋषि मनीषियों को सर्पों के बारे में कितना ज्ञान था।
गुड़िया
उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसे गुड़िया भी कहा जाता है, जिसमें बहने पुराने कपड़े की गुड़िया बनाती हैं और भाई उसे पीट पीट कर चौराहे पर छोड़ आते हैं। जो कि दुःख कष्ट, परेशानी, और दरिद्रता को दूर करने का symbolic माना जाता है।
बहन बेटियों के लिए नये कपड़े आते हैं, सभी मिलकर पूजा पाठ करते हैं व पर्व को खूब हर्षोल्लास से मनाते है।
जीवन में आने वाले सभी छोटे बड़े त्यौहारों को पूरे हर्षोल्लास और रीति-रिवाजों के अनुसार मनाया जाना चाहिए। यही है जो जिंदगी है, बाकी की ऊहापोह तो बस एक दौड़ है....