अब तक आप ने पढ़ा कि नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है। जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है। उसका विवाह मनन से हो जाता है, पर उनके बीच बहुत जल्दी तकरार शुरू जो जाती है। पर जब नन्दा निर्झर को रिश्ते की सच्चाई दिखलाती है, तो निर्झर पर गाज गिर जाती है....... अब आगे
गलत फैसला (भाग- 4)
गलत फैसला (भाग- 4)
वो बहुत रोई, जब मन
हल्का हुआ। तो वो सोचने बैठ गयी, माँ ठीक ही तो कह रही हैं, मनन ने
मुझे कभी अपने माँ पापा से अलग करने की कोशिश नहीं की। और भी सारी बातें उसे माँ
की समझ आने लगी।
फिर पूरे मन से उसने मनन
की पसंद की चीज़ें बनाई, खीर बनाना वो नहीं भूली। और मनन के आने से पहले अपने को
भी अच्छे से संवार लिया।
मनन जब शाम को आया, तो उसे
ऐसा लगा, मानों जैसे सुबह कुछ हुआ ही नहीं था। अपनी पसंद का खाना
और फिर खीर खाकर तो मनन का मन बहुत ही प्रसन्न हो गया।
उसने निर्झर से सुबह के
अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी, वो कहने लगा, ना जाने मुझे क्या हो जाता है, गुस्से
में कुछ होश ही नहीं रहता है। वो रात निर्झर की ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत रात थी।
अगले दिन निर्झर ने माँ को
फोन करके सब
बताया, और माँ को बहुत धन्यवाद दिया, और कहा आज आपने मेरे परिवार को तबाह होने से बचा लिया। मुझे गलत फैसला लेने से रोक लिया।
बताया, और माँ को बहुत धन्यवाद दिया, और कहा आज आपने मेरे परिवार को तबाह होने से बचा लिया। मुझे गलत फैसला लेने से रोक लिया।
नन्दा बोली, मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है, कि मेरी बेटी अपने शादीशुदा ज़िन्दगी में बहुत खुश है। तुम्हारा जीवन ऐसे ही खुशियों से भरा रहे। और हाँ, कल
मैंने जो भी बात बोली थी, वो सब तुम्हारे पापा ने मुझसे कहने को कहा था। इसलिए तेरा सारा धन्यवाद भी उन्हीं को मिलना चाहिए। कह कर नन्दा ने फोन रख दिया।
वो सोचने लगीं, नीलेश की सही राय ने निर्झर को गलत फैसला लेने से रोक लिया। सच ही तो है, निर्झर और मनन की ज़िन्दगी है, तो उसके फैसले भी निर्झर और मनन को ही लेने चाहिए।
वो सोचने लगीं, नीलेश की सही राय ने निर्झर को गलत फैसला लेने से रोक लिया। सच ही तो है, निर्झर और मनन की ज़िन्दगी है, तो उसके फैसले भी निर्झर और मनन को ही लेने चाहिए।
आज
निर्झर को अपने पापा पर बहुत प्यार आ रहा था, साथ ही उसे इस बात का दुख भी था, कि काश वो पहले भी अपने पापा की बात सुनती, तो कभी
कोई गलत फैसले ना लेती।