ऐसा क्यों
सुंदर के दादा जी army में थे, उसके
पिता जी navy में थे। तो उससे कोई भी पूछता, सुंदर
तुम बड़े होकर क्या बनोगे? उसका हमेशा यही जवाब होता, अब तो
बस air force रह गयी है, तो उसी में जाऊंगा। air wing commander ही बनूँगा।
सुंदर का बचपन से यही सपना
था, और उसने उसे पूरा भी कर दिखाया। वो air force में wing commander बन
गया।
पूरे शहर में उनके परिवार
का बहुत नाम था, उनके घर का नाम वीर भवन था।
अब तो सब कहने भी लगे थे, वीर भवन
में सारे वीर रहते हैं। force में भी पूरे परिवार का बड़ा नाम था। सभी बहुत ही साहसी, निडर, दिलेर
जबांज थे।
दादा जी ने अपने समय में
जंग जीतायी थी, वहीं पिता जी ने भी सीने पर गोली खाकर भी ना केवल
दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये थे, बल्कि मौत को हरा कर ज़िन्दगी की जंग भी जीती थी।
अब सारे देश को सुंदर से
भी बड़ी उम्मीदें थी। सुंदर का बचपन दादा जी के शौर्य व पिता जी की वीरता की गाथा
सुनते बिता था, साथ ही कैसे दुश्मनों को चकमा दिया जाए, ये भी
वो बहुत अच्छे से जानता था।
उसने जैसे ही air force join की...
क्या हुआ सुंदर के Air Force join करते ही क्या हुआ?
जानने के लिए पढ़ें, ऐसा क्यों (भाग - 2)...