नागपंचमी पर्व, मनाने का कारण
श्रावण का पवित्र मास, भोलेनाथ को प्रसन्न करने का माह होता है। इस मास के हर सोमवार का महत्व तो होता ही है, साथ ही बीच-बीच में अन्य पर्व भी आते हैं, जिनका अपना-अपना महत्व होता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति में कण-कण में भगवान का अस्तित्व मानते हैं। हम सभी को ईश्वर तुल्य मानकर पूजा, व्रत इत्यादि करते हैं।
ऐसा ही एक पर्व है, नागपंचमी पर्व। इसमें नागों की पूजा की जाती है, उन्हें ठंडा दूध चढ़ाया जाता है।
सदियों से नाग देवता की पूजा करते आ रहे हैं।
हमारी पीढ़ी तो माता-पिता के कहने भर से, बिना किसी सवाल जवाब के सब कार्य करते जाते थे।
पर आज कल की पीढ़ी, हर बात के पीछे का तथ्य जानने को उत्सुक रहती है। सही तरह से देखें तो इसमें कोई बुरी बात भी नहीं है, क्योंकि जब हर तथ्य को सही से जानेंगे, तभी अपनी संस्कृति से पूर्णत: जुड़ेंगे भी।
तो सबसे पहला कारण तो यह है कि जब हमें भगवान शिव को पूर्ण रूप से प्रसन्न करना है तो, उनसे लिपटे, नागदेव को भी प्रसन्न करना ही चाहिए। यह तो रही, भोलेनाथ से प्रेम, आस्था, विश्वास और भक्ति से जुड़ी बात...
अब आप को वेद, पुराण, ज्योतिष,आदि, के अनुसार बताते हैं कि क्यों नाग देवता की पूजा की जाती है? क्या कारण है कि नागों को दूध चढ़ाया जाता है?
तो सुनें...
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शु्क्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है।
नाग पंचमी का महत्व
पुराणों के अनुसार
ऐसी मान्यता है कि इस पर्व में नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक काल से सर्प देवताओं की पूजन की परंपरा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की आराधना करने से जातकों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है व नाग पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में नाग देवता की विधि विधान से पूजा करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है और यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे भी मुक्ति मिलती है।
इस बार 2 अगस्त को नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त :
नाग पंचमी तिथि की शुरुआत- 02 अगस्त सुबह 05 बजकर 13 मिनट से
नाग पंचमी तिथि समाप्त- 03 अगस्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
इस साल नाग पंचमी पर शुभ संयोग
इस साल की नाग पंचमी बहुत खास है, क्योंकि इसमें दो शुभ संयोग बन रहे हैं। दरअसल इस दिन मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा। इस प्रकार नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा पाने का भी शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन यदि आप भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करेंगे तो ये आपके लिए लाभकारी होगा।
नाग पूजा करने का कारण
पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने, बदला लेने के लिए सर्प सत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की।
इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उन पर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
नाग देवों की पूजा व स्मरण
नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवों का स्मरण कर पूजा की जाती है। उन नामों में अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल प्रमुख हैं। इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की 8 आकृतियां बनाने की परंपरा है। हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर सर्प देवता की पूजा करें। कच्छे दूध में घी और शक्कर मिलाकर नाग देव का स्मरण कर उन्हें अर्पित करें।