जैसा कि आप जानते हैं कि हम एक blogger हैं, तो जो writers होते हैं, उनकी आँख, नाक, कान औरों की अपेक्षा कहानी बुनने में थोड़ी ज़्यादा तेज़ होती है, सो हमारी भी है। अब आप इसे अच्छी कहें या बुरी, पर आदत है तो है।
आज वहीं की एक बात साझा कर रहे हैं। आज की कहानी एक मासूम बच्चे की है।
दो मासूम आँखें
एक छोटा बच्चा, आरव अपने मम्मी-पापा के साथ आया था, अपनी आँख की किसी problem के regarding.
नहीं पता कि उसको exactly क्या problem थी, पर कहानी उसकी आँखों की problem पर नहीं है।
उस छोटे-बच्चे से उसके पापा बोले रहे थे, "आरू, आपसे doctor uncle पूछेंगे कि आप कितना mobile देखते हो, और आप जैसे ही बताओगे कि बहुत देर तक, वैसे ही वो आपके injection लगा देंगे।"
सुनकर आरव ठुनठुनाने लगा, आजकल के बच्चों की तरह, वो भी बहुत ज़्यादा mobile देखा करता था। उसका भी screen time बहुत ज़्यादा था। आजकल बच्चों में यह समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे उनको eyesight की problem रहने लगी है।
"पापा, मैं injection नहीं लगवाउंगा, please, please. मत लगवाइए ना…"
वो बोले, "मैं क्या कर सकता हूँ, doctor uncle जैसे ही सुनेंगे, कि तुम इतना mobile देखते हो, तुम्हें injection लगा देंगे।
"नहीं, नहीं पापा। अब से मैं mobile नहीं देखूँगा, TV देखूँगा।"
"अच्छा, TV देखोगे, mobile नहीं देखोगे?"
"हाँ पापा, नहीं देखूँगा mobile. बस आप doctor uncle से कह दीजिएगा, कि वो injection ना लगाएँ। Please, बोल दीजिएगा ना…"
"अच्छा ठीक है, बोल दूँगा।"
"नहीं लगाएँगे फिर injection?" आरव ने मासूमियत से पूछा।
"हाँ, हाँ। नहीं लगाएँगे injection, क्यों लगाएँगे? जब तुम mobile नहीं देखा करोगे।"
"पापा, अब से मैं पढ़ाई भी खूब करूँगा।"
उसके पापा हँस दिए।
तभी आरव को दिखाने की call आ गई, और वो खुशी-खुशी doctor को अपनी आँख दिखाने चला गया, अपनी mummy को bye करके।
कहानी बस इतनी-सी है। लेकिन जो आपसे बात कहनी है, वो यह है, कि बच्चे भी जानते हैं कि mobile screen कम देखनी चाहिए, वो हमारी आँखों को नुकसान करती है।
पर आजकल बच्चों का बहुत ज़्यादा mobile देखने का trend-सा चल गया है। कुछ हम लोगों की बच्चों से free रहने की चाहत, कुछ आधुनिकता, और कुछ बच्चों का mobile देखने का खिंचाव।
Result है दो-चार साल से ही चश्मिश बच्चे…
आप बोलेंगे कि screen देखने में ऐसी भी क्या problem है?
Actually भगवान ने हमारी आँखें दूर-पास, सब देखने के लिए बनाई है, और लगातार पास देखते रहने से वो थक जाती हैं, exhaust हो जाती हैं, और finally खराब हो जाती हैं।
इसलिए, बच्चों को mobile उतना ही use करने के लिए दीजिए, जितना ज़रूरी है। अपने free रहने, या उनके addiction के लिए नहीं।
इन मासूमों की आँखें healthy रहें, इसका ध्यान रखना हमारी duty भी है, और ज़रूरी भी है।