कुछ कहते हैं यह दिन
हमें लगता है, जैसे आज कल के दिन हम से कुछ कहना चाहते हैं, क्या आप को भी यही लगता है?
आजकल जैसे एक के बाद एक चेहरे सामने आ रहे हैं।
पहले रेहाना, ग्रेटा..... अब दिशा, पीटर..... और भी ना जाने कितने नाम सुनने को मिलेंगे......
यह पहले सामने क्यों नहीं आते थे?
और इनके सामने आते ही, क्यों ज़ोरदार राजनीति शुरू हो जाती है?
जो हमारे देश को तोड़ने और बर्बाद करने की सोच रखते हैं, उनका साथ क्यों और किसलिए देना है?
क्या भारत का विकास और सुरक्षा, हर एक भारतवासियों का सपना नहीं है?
तो ग़लत का साथ क्यों?
और सही का विरोध क्यों?
देश में बात बात पर आंदोलन, और फिर उसको उस चरम सीमा पर ले जाना, जहाँ से देखने से लगे मुद्दा तो वो है ही नहीं, जिसके लिए आंदोलन शुरू किया गया था।
देश के मुद्दे को व्यर्थ का तूल देकर, विदेशियों की दख़ल अंदाजी।
कुछ कह रहे हैं ना, हम से यह सब?
सोचिएगा जरुर!
अब वो सही समय आ चुका है, जब हमें सही ग़लत का निर्णय लेना होगा।
अब तो देखिए, कौन है देश के साथ!
हमें पता है, आप सभी को अपने देश से प्यार है और आप सबको पता है, सही क्या है?
आज हम किसी के भी पक्ष और विपक्ष में कुछ नहीं बोलेंगे। पर मेरा मत सदैव उसको है, जो देश के साथ है।
क्या आप का भी?