पनीर का टुकड़ा
चंदन आज बहुत खुश था। भाईदूज में बुआ जी घर आ रही थीं।
माँ पूरे घर की साफ-सफाई और सजावट में लगी हुई थी।
दुकान से उधार पर सामान लेकर आई थीं। घर, पकवानों की खुशबू से महक रहा था।
तभी माँ ने चंदन को आवाज लगाई...
चंदन, मेरे अच्छे बच्चे, ज़रा बगल की दुकान से पनीर ले आओ, तुम्हारी बुआ जी को पनीर बहुत पसंद है।
यह कहकर माँ ने तुड़ा-मुड़ा सा एक नोट पकड़ा दिया। और इसमें से 1 रुपया बचेंगे उससे तुम toffee ले लेना।
चंदन बहुत खुश हो गया। एक तो माँ बहुत स्वादिष्ट पनीर बनाती थीं, दूसरा सालों बाद पनीर बना रही थीं, ऊपर से माँ ने 1 रुपया की toffee लेने को भी बोल दिया था।
चंदन मन ही मन सोच र में चुनावहा था कि आज तो बहुत ऐश होने वाली है।
माँ ने बहुत ही स्वादिष्ट पनीर भी बना लिया।
शाम को बुआ जी आ गयीं। उनके साथ फूफा जी, और उनके बच्चे, चीकू-पीकू व बुआ के देवर और ननद भी।
सबको देखकर चंदन मायूस हो गया। इतने सारे लोग, अब नहीं बचेगा माँ का बनाया tasty-tasty पनीर।
उसके मुंह में आया पानी, उसके मुंह में ही रह गया।
बुआ जी इतने सारे लोग को लेकर चली आई और साथ में लेकर चली आई, बस ½ kg बूंदी के लड्डू...
खैर माँ-बाप के संस्कार ऐसे मिले थे कि चाह कर भी कुछ बोल ना सके।
सबका खाना लगा, सबके खाने लगने पर चंदन दौड़-दौड़ कर खाना परोसने लगा।
एक बार खींसे निपोरते हुए फूफा जी बोले भी, आजा चंदन तू भी बैठ जा।
वो बोला नहीं, मैं माँ के साथ खा लूंगा। बुआ जी बोलीं, रहने दो ना, खा लेगा बाद में उसका कौन कहीं जाना है।
बुआ जी सोच रही थीं कि अगर चंदन भी बैठ जाएगा तो परोसने की भाग-दौड़ उन्हें करनी पड़ेगी। और वो कामचोर ऐसी थीं कि भाई के घर आकर भी कभी एक हाथ नहीं हिलाती थीं।
भाभी को ही चक्करघिन्नी बना कर रखती थीं।
सबने खाना, खाना शुरू कर दिया।
धक्का-पेल सब पूड़ी पर पूड़ी उड़ाए पड़े थे। और बेचारा चंदन सब खत्म होते हुए देख रहा था।
साथ ही सब खाने की बहुत तारीफ करते जा रहे थे। फूफा जी बोले, भाभी आप के द्वारा बनाया गया भोजन बहुत ही स्वादिष्ट होता है, पेट भर जाता है पर मन नहीं। मैं जब भी आता हूँ, ज्यादा ही खा जाता हूँ। यह कहकर उन्होंने 2 पूड़ी और ले लीं।
और धीरे-धीरे, पनीर की सब्जी भी खत्म होती जा रही थी। बस दो टुकड़े ही तो बचे थे, कि फूफा जी के बेटे चीकू ने एक टुकड़ा जल्दी से अपनी plate में रखना चाहा।
पर यह क्या, वो पनीर का टुकड़ा जमीन में गिर गया, फूफा बोले-क्या रे चीकू, ठीक से खा, अभी तेरी मामी और चंदन भी खाना खाने को रह गए हैं..
क्या है, आप तो हमेशा चीकू को डांटते रहते हैं। अरे कटोरे में कितनी सब्जी तो दोनों खा लेंगे। यह कहते हुए उन्होंने झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए पनीर का आखिरी टुकड़ा भी चीकू के plate में रख दिया।
सब खाना खा कर जा चुके थे। सब्जी के कटोरों में लगी-पुछी सी सब्जी बची थी।
माँ ने चंदन से कहा, आजा मेरे राजा अब तू भी खाना खा ले।
चंदन ठुनकते हुए बोला, क्या खाऊं?
खाली पूड़ी?
पनीर की सब्जी में केवल जरा सा रसा बचा है, एक भी पनीर का टुकड़ा नहीं है।
सूखी mix veg से मुझे खाना नहीं खाना।
मेरा तो सारा पेट सबको खाना खिलाकर भर गया।
माँ रसोई में गई, एक plate में दो फूली पूड़ी और सब्जी लेकर आती हैं। अब भी खाना नहीं खाएगा?
माँ के हाथ में plate देखकर चंदन उछल पड़ा, माँ पनीर के चार-चार टुकड़े। यह कहाँ से आए?
क्यों मैं अपने लाडले का ध्यान नहीं रखूंगी?
चंदन माँ से चिपक गया, मेरी प्यारी माँ...
फिर वो माँ के हाथ से खाना खाने लगा, हमेशा की तरह कमाल का पनीर बना था। उसने माँ को भी अपने हाथ से खाना खिलाया....
भाईदूज पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ🎉💐💞