यह कैसा प्यार (भाग - 3) के आगे.....
यह कैसा प्यार (भाग -4)
पर ऋषि ने जैसा सोचा था, रोहित उसके विपरीत निकला।
रोहित काम के प्रति बहुत sincere था। ऋषि, रोहित को जो भी काम देता, वो बड़े लगन से उस काम को समय से पहले पूरा कर देता।
कुछ ही दिनों में ऋषि और रोहित में बहुत गहरी दोस्ती हो गई। अब तो ऋषि, रोहित को हर important meeting में ले जाने लगा।
रोहित के आ जाने से ऋषि को अब अपनी जिंदगी में एक सुदृढ़ साथ मिल गया था। वो अपने business में बहुत busy रहने लगा था।
जिसका नतीजा यह हो रहा था कि वो तान्या के साथ, बहुत कम समय व्यतीत करने लगा। अब उसे तान्या की बहुत ज्यादा चाह भी नहीं रहती।
कई बार तो ऐसा भी होता कि वो तान्या से वादा करके भी उससे मिलने नहीं जा पाता।
ना ही आजकल वो उसको abroad tour पर ले जाता था, ना ही उसको मंहगे तोहफे दे रहा था।
ऐसा नहीं था कि वो abroad नहीं जा रहा था या मंहगे तोहफे नहीं खरीद रहा था।
वो abroad तो जा रहा था, पर अक्सर meetings के सिलसिले में और साथ में होता था, रोहित।
वो तान्या के लिए मंहगे तोहफे भी खरीद रहा था, पर वो इतना व्यस्त रह रहा था कि उसके पास अभी इतना समय नहीं रह पा रहा था कि वो तान्या से मिलकर उन्हें दे सके, अपना प्यार दिखा सके।
तान्या, ऋषि के इस तरह के बदलाव से तिलमिला उठती।
जहाँ तान्या उसके बहुत अधिक साथ से bore होती थी, आज उसका साथ पाने को तरस जा रही थी।
ऋषि से छुटकारा पाने वाली तान्या, अभी ऋषि का घंटों इंतज़ार करने लगी थी।
वो जानती थी कि यह सब रोहित के आने के कारण से हो रहा है, पर फिर भी वो ऋषि को रोहित से अलग नहीं कर रही थी।
आखिर कौन था, यह रोहित? उसका childhood friend या कोई और?
क्यों वो शामिल हुआ था, ऋषि की जिंदगी में?
आखिर ऐसी क्या वजह थी कि, तान्या ने रोहित को ऋषि की जिंदगी में शामिल किया था और उसके रहने से उसे बहुत चिढ़ भी हो रही है, फिर भी वो रोहित को ऋषि से दूर नहीं कर पा रही थी.....
यह सब जानते हैं, यह कैसा प्यार (भाग-5) में.....