कार की सफ़ाई
रघु गांव से अपने परिवार के साथ नया आया था। उसे खेती-किसानी के अलावा कोई काम नहीं आता था।
उसने मेहनत मजदूरी का काम पकड़ लिया, पर कुछ ही दिनों बाद उसकी तबियत बिगड़ गई।
अब उससे मेहनत मजदूरी नहीं हो पा रही थी, उसकी पत्नी रत्ना ने दो घरों में काम पकड़ लिया। उसी से जैसे तैसे गुजर हो रही थी।
एक दिन रघु को अपने गांव का घनश्याम मिल गया, वो रघु को देखकर बड़ा खुश हुआ, उसने रघु पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी, बोला यहां क्या कर रहा है? अभी तक मिलने क्यों नहीं आया? कोई काम धंधा कर रहा है या मजबूरी की रोटी तोड़ रहा है?
रघु दुःखी होता हुआ बोला, सौ बात की एक बात, आए थे गांव की गरीबी से बाहर निकलने के लिए, यहां भूखमरी ने घेर लिया।
चल कोई नहीं, तेरे यार के रहते तू भूखा नहीं मरेगा। मैं यहां कार सफाई का काम करता हूं। तुझे भी 8-10 cars की सफाई का काम दिला देता हूं। सुकून से जिंदगी कट जाएगी।
रघु ने 8-10 कारों की सफाई का काम शुरू कर दिया। रत्ना और रघु के पैसों से जिंदगी ठाठ-बाट से तो नहीं पर चैन से कटने लगी।
रघु का बेटा राघव बड़ा मेहनती और पढ़ने में होशियार था। एक सरकारी स्कूल में वो लगन से पढ़ाई-लिखाई कर रहा था।
बारहवीं की परीक्षा में अव्वल आने पर वह सीधे रघु के पास पहुंच गया, उसे अपने अच्छे नंबरों से पास होने की खुशखबरी सुनाने।
वहां रघु, खन्ना जी की कार साफ कर रहा था। और खन्ना जी कार का wiper टूटने की वजह से रघु की खूब फटकार लगा रहे थे।
रघु बोला रहा था, साहब यह पहले से टूटा होगा, मैंने नहीं तोड़ा, वैसे भी काफी पुराना हो गया था।
खन्ना जी का स्वर और तेज़ हो गया, अच्छा चोरी ऊपर से सीना जोरी... एक तो तोड़ दिया, ऊपर से बहस कर रहा है। बहुत दिमाग ख़राब हो गये हैं, तेरे...
आखिरकार वो रघु की उस महीने की तनख्वाह काटकर ही माने। सब बात ख़त्म कर खन्ना जी, फोन पर अपनी पत्नी से बातें करने लगे, खन्ना जी बताने लगे, कैसे उल्लू बनाकर, पहले से टूटे हुए whipper का पैसा, अनपढ़ गवांर मूर्ख रघु से वसूल लिया। फिर बोले, तुम बहुत दिनों से pizza के लिए बोल रही थीं, आज उन पैसों से pizza मंगाएंगे।
फिर मक्कारी से भरी हंसी के साथ gate से बाहर चले गए।
राघव, दूर खड़ा खन्ना जी की सारी हरकतें देख और सुन रहा था। उसके तन बदन में आग लग गई। उसके पास होने की खुशी काफूर हो चुकी थी।
अगले दिन से राघव दिन भर, घर से बाहर रहता और रात को भी बहुत late आता।
रघु और रत्ना, दोनों इस बात से बहुत परेशान थे, पर राघव उन्हें कुछ नहीं बताता। 2 साल बीत गए।
एक दिन रात के 9 बजे, रघु के घर के आगे एक कार आकर खड़ी हुई और बहुत तेज हॉर्न बजाने लगी।
बार बार हॉर्न की आवाज सुनकर, रघु और रत्ना दोनों बाहर आए, उनके बाहर आते ही हॉर्न की आवाज बंद हो गई।
उन्होंने देखा, एकदम नयी चमचमाती आलीशान कार घर के बाहर खड़ी हुई थी। और इधर उधर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। तभी राघव सामने से चला आ रहा था।
राघव को देखकर, रघु बोला, ना जाने किस की नई कार है।
राघव बोला, आज से आप को बस यही कार बहुत मन लगाकर साफ करनी है। मैंने सुना है, जिस कार की सफाई आप करते हैं, वो कभी पुरानी नहीं होती है।
हां, तू परेशान मत हो, मैं बहुत मन से इसकी सफाई करुंगा। पर यह तो बता, यह किसकी कार है।
राघव ने कार की चाभी, रघु को देते हुए कहा, आपकी...
मेरी!?...
हां आप की!
अब से आप और मां कोई काम नहीं करेंगे।
यह कह कर राघव ने पिछले 2 साल की सारी बातें बताते हुए कहा, जिस दिन खन्ना जी आप की डांट लगा रहे थे। उसी दिन मैंने सोच लिया था कि बहुत मेहनत करुंगा, लेकिन बहुत जल्द ऐसी कार दूंगा आप को।
अब से आप सिर्फ इस कार की सफाई करेंगे, और मैं मेहनत कर के आप को जमाने की सारी खुशियां दूंगा।
अगले दिन से रघु, कार की सफ़ाई के काम के लिए नहीं गया।
खन्ना जी उसके घर गये, देखा रघु नयी चमचमाती कार की सफाई कर रहा था।
वो गुस्से से चिल्लाने लगे, यहां कार की सफाई कर रहा है और हमारे यहां नहीं आया।
रघु बोला, अब से मैं सिर्फ इसी कार की सफाई करूंगा।
अबे, ऐसे कौन से रईस की कार है कि जो तू किसी और की कार की सफाई नहीं करेगा।
राघव बोला, मेरे पिता जी की।
रघु! तुमने कार खरीद ली?
मैं कहां साहब, बेटे ने दी है...
खन्ना का मुंह छोटा सा रह गया क्योंकि यह कार उसकी कार से ज्यादा आलीशान थी।
वो समझ गया कि अब उसे अपनी कार की सफाई खुद ही करनी पड़ेगी।