गुरुवर को कोटि-कोटि प्रणाम
आज का दिन है, उनको धन्यवाद देने का, जिन्होंने ना जाने कितने लोगों के अंदर रचनाकार को जन्म दिया है।
उनकी रचनाएं हमें रचनात्मक कार्यों के प्रति प्रेरणा प्रदान करती है। उनकी एक-एक रचना अपने आप में एक पाठशाला है।
मैं जब कक्षा 6 में थीं, उन दिनों मुझे डाॅ. सत्य कुमार जी की कहानियाँ पढ़ने का अवसर मिला।
उनकी एक-एक कहानी जीवन से जुड़ी हुई थी।
उन्होंने कहानियाँ, इतने सरल शब्दों में लिखीं थीं, कि वो कब मन-मस्तिष्क में समा गई, यह ज्ञात ही नहीं हुआ।
उनकी कहानियों को समझने के लिए कभी किसी शब्दकोश को खोलना नहीं पड़ा, ना ही कभी किसी ज्ञानी से उसका सार समझने की कोशिश करनी पड़ी।
उनके इस अंदाज ने मुझे बहुत प्रेरित किया, कि जब भी कोई रचना बनाएं, वो इतनी सरल और सहज होनी चाहिए कि वो लोगों के मन-मस्तिष्क में समा जाए।
कठिन या क्लिष्ट भाषा से आप तो ज्ञानी सिद्ध हो जाएंगे, पर यह आवश्यक नहीं है कि आप अपनी रचना को दूसरों के दिलों में स्थान दे पाएं। क्योंकि जो सरल है, वो ही सत्य है, सनातन है, ईश्वर है।
अतः जब भी कोई रचना लिखें, वो स्वांतः सुखाय के लिए नहीं वरन् सबको सुख देने के लिए लिखना चाहिए।
साथ ही उनकी कहानियों से हमें सत्य, प्रेम और संघर्ष से जीवन रुपी भवसागर को पार करने की प्रेरणा भी मिलती है।
हमने उन्हें अपना गुरु मानकर उनकी इस शैली को अपनी रचनाओं में उतारने की चेष्टा की है। हे गुरुवर आपका ह्रदय से अनेकानेक आभार, आप को कोटि-कोटि प्रणाम 🙏
हे गुरुवर, आप की सभी रचनाएं व पुस्तकें मेरे लिए अनमोल हैं, उन्होंने मुझे एक रचनाकार का अस्तित्व प्रदान किया।
अपितु डाॅ. सत्य कुमार जी से सभी पूर्णतः परिचित हैं, तथापि संक्षेप में उनके लेखकीय परिचय को उनकी प्रकाशित पुस्तक द्वारा अंकित किया है।