कमी (भाग - 1) के आगे......
कमी- (भाग-2)
कमी- (भाग-2)
रास्ते भर वो मिलंद से
गुस्सा होती रही, और अपनी किस्मत को
कोसती रही।
जब वो घर वापस आए, तब मात्र 10 बज रहे थे। वो lift में थे, lift चलती, उससे पहले एक झुर्री भरे हाथों ने लिफ्ट रोक दी, और
लाठी टेकती एक बूढ़ी औरत लिफ्ट में आ गयी।
कामिनी का घर 10th floor पर था, और वो बूढ़ी औरत 5th floor पर जा रही थी।
उसको देखकर कामिनी को उत्सुकता हुई, बोली- आप कौन हैं, मैंने आपको पहले कभी नहीं देखा?
कोसती रही।
जब वो घर वापस आए, तब मात्र 10 बज रहे थे। वो lift में थे, lift चलती, उससे पहले एक झुर्री भरे हाथों ने लिफ्ट रोक दी, और
लाठी टेकती एक बूढ़ी औरत लिफ्ट में आ गयी।
कामिनी का घर 10th floor पर था, और वो बूढ़ी औरत 5th floor पर जा रही थी।
उसको देखकर कामिनी को उत्सुकता हुई, बोली- आप कौन हैं, मैंने आपको पहले कभी नहीं देखा?
हाँ बिटिया, मैंने
आज से ही 505 में खाना बनाने का काम पकड़ा है।
इतनी उम्र में इतनी देर
में आप खाना बनाने आयीं हैं?
हाँ बेटा, मेरी
किस्मत अच्छी है, कि मेरे बनाए खाने के स्वाद में आज भी कोई कमी नहीं आई
है, इसलिए आज भी लोग मुझे खाना बनाने के लिए बुलाते हैं।
आज भी में अपने दम पर पैसे
कमा रही हूँ, मुझे अपनी जरूरत के लिए दूसरे का आसरा नहीं लेना होता
है। ईश्वर बड़ा महान है, कि आज भी मुझे पैसे की कमी नहीं है। तभी 5th floor आ गया, और वो बुढ़िया लाठी टेकती निकल गयी।
पर जब वो जा रही थी, तो
कामिनी उसे देख रही थी। एकदम मामूली सी साफ-सुथरी साड़ी पहने थी, हाथ में
काँच की चूड़ी थी।
वो बुढ़ापे के कारण झुक भी
गयीं थीं, जिस उम्र में सब आराम करना चाहते हैं, वो काम
पर आयीं थीं। ठीक से चला नहीं जा रहा था, पर दो वक़्त की रोटी के लिए काम कर रहीं थीं। फिर भी
ईश्वर का धन्यवाद दे रहीं थीं, कि उनको कोई कमी नहीं है।
कामिनी सोचने लगी, मिलंद
ने उसे कितने सुख दिये हैं, घर के काम के लिए नौकर लगे हैं। अपना खुद का मकान है, गाड़ी है, महेंगे
कपड़े और भारी जेवर भी हैं।
फिर भी वो अपनी किस्मत को
कोस रही थी, कि उसकी ज़िन्दगी में कितनी कमी है। जिसके कारण जिस party का वो
इतना इंतज़ार कर रही थी, उसमें से खाली दुखी होकर लौटी है।
साथ ही जहाँ उसे पूरी
रात बितानी थी, अपने गुस्से के कारण मिलंद को भी जल्दी ले आई।