अब तक आपने पढ़ा, सुधा अपने ससुराल में बहुत खुश है, सब सुधा को बहुत प्यार व मान देते हैं।
सुधा की सास, सुधा पर उसके देवर की शादी करवाने की ज़िम्मेदारी सौंप देती
है...
छोटी सी बात (भाग-२)
बेटा, भगवान का दिया सब तो है, हमारे पास। अगर तुम्हें
लग रहा है, कि
लड़की अच्छी है, तो तुम बात कर लो, और हाँ, तुम बात करते समय अपनी
आंटी को ये भी बोल देना, कि हमे दहेज़ बिलकुल भी नहीं चाहिए। पर माँ वो हमारी तरह
धनी भी नहीं हैं, शायद शादी में उतनी धूम भी ना कर पाएँ। ठीक है, वो हम देख लेंगे, माँ ने कहा।
सुधा
अपने मायके गयी, तो अपनी mumma से उसने बताया कि उसकी सासू-माँ ने
उसके ऊपर नितिन की शादी की ज़िम्मेदारी सौंपी है, दहेज़ भी लेने से इंकार कर
दिया है। नितिन के लिए उसे सरिता पसंद आ रही है। ये तो बहुत अच्छी बात है, तो ये सब तुम इतनी टेंशन
में क्यू बोल रही हो? Mumma ने सुधा से पूछा। mumma, मुझे केवल ये लग रहा है, कि क्या वो लोग शादी
धूमधाम से कर पाएंगे?
चल
ना बात कर लेते हैं। अगर वो लोग धूम से नहीं कर पा रहे होंगे, तो मैं और तुम्हारे पापा
एक और बेटी की शादी कर लेंगे। mumma की ऐसी बात सुन कर सुधा चहक उठी, बोली mumma आप बहुत अच्छी हैं।
फिर
दोनों सरिता के घर चले गए। सरिता की माँ सारी बात सुन के बहुत खुश हुईं। बोली बेटा
मेरी बेटी ने पिछले जन्म में कोई बहुत अच्छा काम किया होगा, जो उसे तुम्हारे जैसी बड़ी
बहन जैसी जेठानी मिलेगी।
आंटी
मेरे ससुराल में सभी बहुत अच्छे हैं, कर्म तो मेरे भी बहुत अच्छे रहे होंगे, जो मुझे वो लोग मिले।
सरिता को भी सब बहुत पसंद आएंगे।
पर, सुधा धूमधाम से शादी करने
की बात पूछने से झिझक रही थी। Mumma ये समझ गईं, उन्होने सीधे ही पूछ लिया, आप लोग शादी कैसी कर
पाएंगे? वैसे
मैं और सुधा के पापा आपका इसमे सहयोग कर सकते हैं।
नहीं
नहीं, सरिता
की माँ बोलीं, मैं अपनी बेटी की बहुत धूमधाम से शादी करूंगी। सरिता के
पापा, के सरिता की शादी को ले कर
बहुत अरमान थे। उन्होने सरिता की शादी के लिए 2 प्लॉट डाल के रखे थे। उन्होने अपने
अंतिम समय में मुझसे कहा था, कि उनकी लाड़ो की शादी ऐसी धूम से करूँ, कि सारी दुनिया याद रखे।
आप बस ये कर दीजिये, वो प्लॉट बिकवा दीजिये।
Mumma बोलीं, आप उसकी चिंता मत कीजिएगा, सुधा के पापा के बहुत
दोस्त हैं, आपको प्लॉट के ऊंचे ही दाम मिलेंगे। पर, आंटी जी फिर आप के पास क्या रह जायेगा? सुधा चिंतित सी बोली। मुझ अकेली जान के
लिए सरिता के पापा ने जो FD कराई है, वो बहुत है।
सुधा
ने ससुराल में सब बात अपनी माँ को बता दी। नितिन और सरिता को मिलवाया गया। दोनों
ने कहा, अगर
पसंद सुधा की है, तो दोनों तैयार हैं। जब नितिन को पता चला कि, सरिता भी उसकी भाभी को
बहुत मानती है, तो उसे सरिता और ज्यादा भा गयी।
सुधा
बहुत मन से शादी की सारी तैयारी में जुट गयी, उसके लाडले की जो शादी
थी। शादी के सारे function 1 महीने के अंतर में ही हो जाने थे। आज दोनों की engagement होनी थी, सब जगह से सुधा को ही
पुकारा जा रहा था, क्योंकि सभी चीज़ की ज़िम्मेदारी सुधा ने अपने कंधों पर
उठा रखी थी।
सारे
काम निपटा कर सुधा engagement में जाने के लिए तैयार हो रही थी। साड़ी में safety pin लगाना रह गया था। तभी
नितिन आ गया, भाभी जल्दी चलिये, माँ बोल रही हैं, मुहर्त का समय हो गया है।
हाँ अभी आ रही हूँ, कह कर सुधा ने कस के पिन साड़ी में लगाने की कोशिश की, बहुत देर से pin साड़ी में लग नहीं रही थी।
पर अबकी जब लगी, तो सुधा की चीख भी निकाल गयी। क्या हुआ भाभी? नहीं, कुछ नहीं pin थोड़ा सा चुभ गयी थी। कहाँ? भैया को भेजूँ क्या? अरे, नहीं रे, pin तो ऐसे कई बार ही चुभ जाती
है। चलो, चलते
हैं, वैसे ही
बहुत देर हो गयी है।
बहुत
ही अच्छे से सारा function निपट गया। अब इसके बाद हर हफ्ते ही कुछ ना कुछ function
थे। सुधा
उन सब की तैयारी में जुट गयी, सारी ज़िम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। और वो सारे function
इतने
अच्छे से plan कर रही थी, कि सारे function एक से बढ़ कर एक हो रहे थे।
वो सबकी पसंद, सुविधा और भव्यता सबको दिमाग में रख कर plan करती थी।
पर
इन सब में वो, ये ध्यान नहीं रख रही थी, कि जिस कंधे में pin चुभी थी, वहाँ दर्द भी रह रहा था, और वहाँ swelling
भी आ गयी
है...