चंद घंटों पश्चात Father’s
day है, तो आइये पिता के लिए
कुछ सोचें!
पिता के लिए भी...
ये शब्द हम सब के जीवन में एक अहम
भूमिका रखता है। कहीं पिता, कहीं बाबा, कहीं पापा के नाम से पुकारा जाने वाला ये अहम रिश्ता हमारे
साथ तब ही से जुड़ जाता है, जब हम माँ की कोख
में होते हैं। एक स्त्री का तो जब वो माँ बनने वाली
होती है, तभी
से ही ध्यान रखा
जाने लगता है। ये खाओ, वो न खाओ,
आहिस्ते से चलो, जो स्त्री को उस समय
पसंद है, वो ही खिलाया जाता है। mood swings
हैं, जैसा वो चाह रही है करा जाता
है।
पर उस पुरुष का क्या? वो भी पिता बनने जा रहा है। आजकल के पुरुष तो पिता बनने के साथ ही बराबर से
ज़िम्मेदारी भी निभाते हैं। फिर चाहे रात में बेबी के लिए जागना हो, उसको bottle
feed करना हो, या
उसके diaper बदलने हो,
नहलाना हो, खेलना हो। सब काम बखूबी करते हैं।
तो क्या उनका ध्यान भी जब वो पिता बनने
वाले हों, तब रखना चाहिए?
जी हाँ,
एक पुरुष का भी उस समय से ध्यान रखना चाहिए, उनकी health
की भी proper care हो, उनमे भी mood
swings होते होंगे। उन्हें भी ये tension
रहती है,
कि जब baby आ जाएगा, तब उसकी दिनचर्या के
according अपना सारा schedule plan
करना होगा, उनकी responsibility भी बढ़ जाती है। जिसको वो बखूबी निभा भी रहे हैं।
तो जब समाज बदल ही रहा है, तो क्यूँ ना, ये भी किया जाए! जैसे एक माँ बनने वाली स्त्री को special
treatment मिलता है,
वैसा ही एक special treatment पिता
बनने वाले पुरुषों को भी मिलना चाहिए।