स्वार्थी
सिया पाँच भाई बहन में तीसरे नम्बर की
थी। ज़िन्दगी बहुत हँसी-खुशी से चल रही थी। पर सिया अभी मात्र 16
साल की थी, और माँ ने बिस्तर पकड़ लिया।
बाकी सब की ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलती
रही, पर सिया की ज़िंदगी वहीं थम गयी। वो दिन रात माँ की
सेवा में लगी रहती, जिस कारण वो बहुत पढ़ भी नहीं पाती
थी।
साल गुज़रते गए, एक-एक करके सभी भाई-बहन की शादी हो गयी, गृहस्थी हो गयी, सब उसमें रम गए। अब तो पापा भी retire हो गए थे, वो भी सिया पर आश्रित हो गए।
सिया ने एक मामूली सी job join कर ली, उम्र
भी बढ़ती जा रही थी, पर कोई उसके विवाह की नहीं सोच रहा
था। माँ-पापा भी अब स्वार्थी हो चले थे, क्योंकि सिया
के अलावा बाकी बच्चे अपने जीवन में व्यस्त थे। ना कोई भाई-बहन चाह रहे थे, कि सिया की शादी हो, क्योंकि सिया के माँ-पापा
के पास होने से वे माँ-पापा की ज़िम्मेदारी से मुक्त थे।
सिया के office में राघव भी job करता था, वो सिया को मन ही मन बहुत प्यार करता था।
अपने प्यार का राघव ने सिया से कभी इज़हार
नहीं किया था, जबकि सिया जानती थी, कि राघव उसे बेहद चाहता है। पर सिया कभी माँ-पापा से ऊपर उठकर अपने बारे
में सोच ही नहीं पाती थी।
एक शाम, सिया
अपने पापा के साथ बाज़ार से कुछ सामान लेने गयी थी। वहाँ दुकानदार से कुछ बहस हो
गयी, बात इतनी बढ़ी कि वो सिया की इज्ज़त पर बन आई, दुकानदार और उसके साथी, सिया की ओर बढ़ने लगे।
पापा में इतना सामर्थ्य नहीं था, कि वो कुछ रोक पाएँ।
तभी ना जाने, कहाँ से राघव आ गया, और
उसने ना केवल सिया को उन गुंडों से बचाया, बल्कि उन्हें
सुरक्षित घर भी छोड़ गया।
आज पहली बार सिया को लगा, उसे अपने future और protection के लिए राघव का हाथ थाम लेना चाहिए। उसने अपने मन की बात राघव को बता दी, पर साथ ही यह भी बताया कि उसे अपने माँ-पापा की बहुत चिंता है।
राघव बोला, तुम्हारा
यह फैसला तुम्हें कभी गलत नहीं लगेगा।
सिया और राघव का विवाह हो गया, पर उसकी शादी में घर से कोई शामिल नहीं हुआ, सब सिया को स्वार्थी बोल रहे थे, क्योंकि कोई
चाहता जो नहीं था, कि सिया शादी करे।
राघव ने शादी के बाद, अपना वादा निभाया, अब से
वो भी सिया के माँ-पापा का बहुत ध्यान रखता था। राघव को ऐसा करते देखकर सारे
भाई-बहन फिर से अपने कर्तव्य से मुक्त हो गए।
चंद सालों बाद पहले माँ, फिर पापा भी इस दुनिया को छोड़ गए।पर आज सिया अकेले नहीं थी, असुरक्षित नहीं थी।
आज उसके साथ सच्चा प्रेम करने वाला जीवन साथी था, जिसने
अपने सारे वादे पूरे किए थे।
वो सोच रही थी, अगर उस दिन वो थोड़ी स्वार्थी ना होती, तो आज वो अकेली भी होती और असुरक्षित भी।