नारी तू उठ, कर दिखा
नारी तू उठ, कर दिखा,
जो किसी ने कभी सोचा नहीं;
दिखा दे, आज जमाने को,
असंभव कुछ भी, तुझको नहीं।
दिखा दे, जमाने को,
उपस्थिति तेरी कितनी
जहां में जरूरी है,
तू ही हर बात की धुरी है।
हो बात चाहे, नभ की ऊंचाई की,
चाहे बात करें कोई समुद्र की गहराई की:
या फिर हो धरा को नापना,
या सूर्य की दूरी को मापना।
हर क्षेत्र में तू आगे बढ़ चुकी है,
अपने हर डर से तू लड़ चुकी है;
आगे बढ़ते जाने में, तुझको बाधा नहीं,
सिर्फ घर तक सीमित रहे, तू बेबस इतनी ज्यादा नहीं।
अपने को रौंदने ना,
किसी को दीजिए;
खुद को सर्व शक्तिमान,
सर्वांगीण कीजिए।
अब सम्मान, तुझको भी,
बराबर का चाहिए;
कम नहीं हैं, तू किसी से
यह धारणा बनाईए।
नारायण भी नारायणी बिन,
दिखते अधूरे हैं;
मंदिरों में भी देव,
देवी संग होते पूरे हैं।
नारी तू उठ, कर दिखा,
जो किसी ने कभी सोचा नहीं:
दिखा दे, आज जमाने को,
असंभव कुछ भी, तुझको नहीं।
समस्त नारी को समर्पित(महिला सशक्तिकरण)
Happy women's day