प्रत्यक्ष प्रमाण
सदियों से हिन्दू संस्कृति में यही बताया जाता है कि भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं।
शायद इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है शिवलिंग का ज्ञानवापी मस्जिद में मिलना।
या ज्ञानवापी मस्जिद का अपना नाम ही सबसे बड़ा प्रमाण है कि वो मस्जिद इतिहास में एक मंदिर ही थी क्योंकि ज्ञानवापी का अर्थ है ज्ञान का कुँआ और किसी भी मस्जिद का नाम किसी संस्कृत शब्द पर कैसे हो सकता है?
तभी वहाँ मिलने वाले प्रत्यक्ष प्रमाण, समवेत स्वर में, औरंग़ज़ेब द्वारा किए गए अत्यंत घृणित कार्यो की कहानियां कह रहे हैं।
नंदी महाराज, जो सदियों से अपने भोलेबाबा के इंतजार में मस्जिद की ओर मुख किए बैठे थे, उनकी तपस्या पूर्ण हुई।
मस्जिद में मिलने वाले स्वास्तिक चिन्ह, घंटे का चित्रण और ऐसे ही बहुत से अन्य हिन्दू धर्म से जुड़े चिन्ह, सब उस घृणित कार्य को बता रहे हैं।
परन्तु जिस जगह, महादेव मिले हैं, वो स्थान है, वज़ू की जगह। वज़ू जहाँ नमाज अदा करने से पहले, हाथ-पैर धोये जाते हैं।
हम हिन्दू, महादेव के दर्शन भी नहा-धोकर करने जाते हैं, उन्हें पूर्ण पवित्र हुए बिना छूते तक नहीं हैं। उस ईश्वर को यह स्थान दिया था।
इतना घोर अपमान किया था औरंगजे़ब ने...
सोचकर ही मन क्रोध से भर जाता है...
क्या अब भी सोचा जाना चाहिए कि, ज्ञानवापी मस्जिद का क्या करना है?
मुगल आक्रांताओं ने, हमारे कितने ही मंदिरों को यूं ही खंडित करके, उसके ऊपर मस्जिद बनाकर उसे मुग़ल स्थापत्य कला का नाम दे दिया।
उसमें औरंगजेब ने अति ही कर दी थी। उसने कितने ही मस्जिदों की सीढ़ियों पर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को दबवाने की नीच हरकत की थी। जिससे जब मस्जिद की सीढ़ियां चढ़ीं जाएं तो उन मूर्तियों को पैरों तले रौंदा जाए।
क्या अब भी सोचा जाना चाहिए कि, ज्ञानवापी मस्जिद का क्या करना है?
हम हिन्दुओं में देवी देवताओं का सर्वोच्च स्थान है। और हमें यह बर्दाश्त नहीं कि उनका तनिक भी अपमान किया जाए।
जो अपराध, इतिहास में किए गए हैं, उनको सही करने का समय आ गया है। और इसके लिए ईश्वर भी हमारा साथ दे रहे हैं।
महादेव का मिलना इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
तो अब हम सब को एक होकर, सही का साथ देना है और जहाँ-जहाँ भी ऐसे घृणित कार्य किए गए हैं, उन्हें सही किए जाए, इस ओर अग्रसित होना है।
हर हर महादेव 🐚🚩🔱