करवाचौथ
व्रत तो करवा चौथ का
पत्नी रखतीं हैं
पर धड़कनें पति की बढ़ती हैं
हर साल प्रभू से
यही सवाल करते हैं
हे प्रभु, आपकी हम
पुरुषों से क्या लड़ाई है
क्यों खर्चा बढ़ाने वाली
इतनी तिथियां बनाई है
कभी जन्मदिन
कभी एनिवर्सरी
बची कमर तोड़ने
करवा चौथ भी चली आई है
प्रभू बोले, अरे नादान क्यों
पैसे पैसे को रोता है
इन सबके लिए ही तो
काम का बोझ ढोता है
यही सब कारण ही
जिंदगी को जिंदगी बनाते हैं
खुशियों के पल दे कर
नीरसता हटाते हैं
पत्नी का प्रेम, तपस्या, व्रत
क्या तुझे नहीं दिखता है
इन सबके आगे पैसा
कहां टिकता है
तेरे पीछे, वो अपनी
भूख प्यास सब छोड़ देती है
बदले में एक तोहफा
तेरे प्यार की किश्त ही तो होती है