Friday 19 January 2024

Article: सुकून के पल

 सुकून के पल


आज कल की भागती-दौड़ती जिंदगी में यदि कुछ सुकून के पल मिल जाए तो लगता है कि life set है boss।

पर इस भागती-दौड़ती जिंदगी में हर एक के पास वो सुकून के पल जरुर होते हैं। आपके पास भी हैं... हैं ना?

अरे क्या सोचने लगे हैं कि नहीं है?...

बिल्कुल हैं, चलिए उन्हें एहसास करने की कोशिश करते हैं।

दिन पर दिन ठंडक बढ़ती जा रही है, ऐसे में जब हमें अपने बिस्तर पर आने का मौका मिलता है ना, बस तब ही...

तभी तो होते हैं वो सुकून के पल... 

जब साफ, सुथरा, नर्म और गर्म बिस्तर हो, उसके साथ बहुत soft, cozy और साफ सुथरा blanket या रजाई मिल जाए तो बात ही क्या...

बस इन्हीं सुख के पलों की बात कर रहे हैं ...

हमारे घर से चार प्राणी हैं और चारों के पास double bed का cozy और साफ़ सुथरा भीनी खुशबू वाला blanket हैं। 

Double bed का होने और सबका separate blanket होने के कारण हम सबके लिए वो more than sufficient है। 

उसको ओढ़ने के बाद हम लोग उसे चारों तरफ़ से अपने नीचे दबा भी लेते हैं। मतलब वो तब सिर्फ blanket नहीं रह जाता है बल्कि sleeping bag बन जाता है। और बहुत अच्छी गर्माहट देता है।

आप कहेंगे कि sleeping bag ही बनाना है तो वही ना ले लें, तो भाई sleeping bag आपके according customize नहीं होता है। 

जबकि आप blanket और रजाई को अपने अनुसार जहां से जितना दबाना चाहो, दबा सकते हो। 

आपको एक secret बताएं, सुख क्या है? कोई fix formula नहीं, बल्कि कोई भी ऐसी चीज, परिस्थिति या इंसान जो हमारे according customize हो। बस वही सुख है।

उस साफ-सुथरे, नर्म मुलायम कंबल का एहसास, दूसरी ही दुनिया में ले जाता है। जहां जीवन के सुख की सुखद अनुभूति होती है। वो नर्म और गर्म बिस्तर ऐसा प्रतीत होता है, अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है। ऐसा लगता है कि इस रात की सुबह ही ना हो। 

यूं ही मखमली एहसास में जीवन बीत जाए। वैसे तो हम अपने जितने काम करेंगे, जीवन उतना ही स्वस्थ रहेगा। पर ठंड में लगता है कि कहीं के राजकुमार और राजकुमारी बन जाएं और सब कुछ बस बिस्तर पर ही मिलता जाए। 

पर ईश्वर इस सुख को प्रदान कराने के लिए सख्त बीमार ना करें, क्योंकि तब वो आराम सुखद ना हो कर कष्टकारी हो जाएगा। 

उससे तो नर्म और गर्म बिस्तर की हर रात ही अच्छी है और हर सुबह की भरपूर मेहनत भी.... 

वैसे सुख बहुत लंबा हो जाने से सुख नहीं लगता है, बल्कि आदत लगने लगती है। 

इसलिए सुख के परम एहसास के लिए काम करना भी जरूरी है। और काम खत्म करके जब वो पल आएं तो उनका अनुभव करना भी... 

इसलिए अब से जब सारे काम खत्म करके अपने नर्म और गर्म बिस्तर पर लेटें तो तुरंत सो मत जाइए, बल्कि उस सुखद एहसास का अनुभव जरूर करें।

छोटे-छोटे सुख का एहसास करना ही सुकून के पल होते हैं और जो इसे अनुभव कर सकता है वहीं सुखी है।

इसलिए छोटी-छोटी बातों में दुःख ढूंढने के बजाए सुकून के पल ढूंढिए, सच मानिए इससे ही सुख और आनंद मिलेगा।