पंकज, प्रिया का appointment letter लेकर आता है, जिसका प्रिया को बहुत दिन से इंतज़ार था, पर letter देखकर उसे घर की सारी जिम्मेदारी याद आने लगती है. तब पंकज जिम्मेदारियों में साथ निभाने की बात करता है......
अब आगे.....
कौन करे (भाग -२)
आज से प्रिया को office जाना शुरू करना था, पंकज भी प्रिया के साथ ही उठ गया। दोनों ने ही
मिलकर सारे काम किए। और अपने अपने office
चले गए। आज पहली बार पंकज थोड़ा late हुआ था।
लौटेते समय पंकज,
संयम को लेकर, प्रिया को लेने पहुँचा। क्योंकि प्रिया का ऑफिस
पंकज से पहले लगना था, और उससे देर में छूटना था। पंकज को संयम के साथ
आया देखकर वो बहुत खुश हुई। प्रिया बहुत fresh
लग रही थी। पंकज के पास आ कर वो
चहकते हुए बोली, मेरा आज बहुत ही अच्छा welcome हुआ। मुझे आज office
join करके मज़ा ही आ गया। I love you पंकज, अगर तुम साथ देने का वादा नहीं करते तो,
शायद मैं join करने का सोच नहीं पाती।
सब कुछ अच्छे से चल रहा था,
एक दिन पंकज की माँ, उनके साथ रहने को आ गईं। उनके आने से आए दिन पंकज
को उनकी दवाई आदि, लाने या doctor
को दिखाने के कारण office जाने में late
होने लगा था या उसे छुट्टी लेनी
पड़ रही थी।
साथ ही पंकज रोज ही प्रिया
के साथ घर के काम में हाथ भी बांटता। यह सब पंकज की माँ को अच्छा नही लग रहा था।
एक दिन तो वो बोल ही दीं, अच्छा महारानी को नौकरी कराई है तूने। आए दिन तू कभी
खाना बनाता है, कभी बर्तन धोता, कभी घर की साफ-सफाई,
कभी संयम को संभालना और छुट्टी भी लेगा, तो वो भी तू ही। ये क्या तरीका है?
माँ,
मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता, बताओ तो? शादी करके पत्नी अर्द्धांग्नि कहलाती है,
नौकरानी नहीं। जिस तरह से वो मेरे लिए हर काम में खड़ी रहती है,
मुझे भी वैसा ही करना होगा ना? जब वो मुझे घर को चलाने में धनार्जन करके support कर सकती है , तो क्या मैं उसका घर के कामों में हाथ नहीं बंटा सकता?
रही बात छुट्टियों की,
तो उसकी नौकरी अभी नयी है, इसलिए वो ज्यादा छुट्टी नहीं ले सकती। शाम को जब
प्रिया घर आई, तो आज वो माँ जी के लिए नया स्वेटर और body massager ले कर आई थी। और आते ही बोली, मैंने आपका योगा teacher से appointment
ले लिया है,
कल से मेरे साथ ही चलिएगा, आपके घुटने जल्दी ही फिर से पहले जैसे हो जाएंगे।
पर प्रिया,
तुमने वहाँ का appointment क्यों लिया, वहाँ तो बहुत fees लगती है। पंकज ने चौंक कर
पूछा?
अरे अब माँ जी की बहू कमा
रही है, तो क्या अपनी माँ जी के लिए इतना भी नहीं कर सकती?
अब तो खर्चे की सोचने की जरूरत नहीं है, सब top
का ही होगा। ये सुन के सब हँसने
लगे
प्रिया की ऐसी बात सुन कर
माँ जी, समझ गईं, अब ज़माना बदल रहा है,
जब कमाने के लिए सब बाहर निकल रहे हैं, तो घर का काम भी सभी को ही करना पड़ेगा। ये सोचने
से काम नहीं चलेगा, कि ये काम कौन करे? या वो काम कौन करे?
उसके बाद से ना तो पंकज की
माँ को पंकज के काम करने से ऐतराज हुआ, ना ही कभी प्रिया से कोई शिकायत हुई।