Sunday 30 October 2022

Story of Life: नहीं टूटेगी रीत (भाग - 2)


नहीं टूटेगी रीत (भाग - 2)




आज काॅलेज का आखिरी दिन था...

सब एक दूसरे से बिछड़ने के कारण बहुत दुःखी हो रहे थे, पर एंजेला के तो आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

उसने बहुत जोर से देवेश के हाथ को पकड़ रखा था, वो वापस अपने घर नहीं जाना चाह रही थी। 

क्या हुआ, एंजेला? देवेश ने उसे रोता हुआ देखकर पूछा।

ना जाने देवेश मुझे क्या हुआ है, पर अब मैं तुम से दूर नहीं रह सकती... क्या तुम मुझे जिंदगी भर के लिए अपने साथ रख सकते हो? 

क्या कह रही हो, एंजेला? तुम्हारा-मेरा कोई मेल नहीं है। कहाँ तुम शहर में रहने वाली अमीर लड़की और कहाँ मैं एक छोटे से गांव का रहना वाला गरीब लड़का...

एंजेला, देवेश को छोड़कर घर आ गई पर उसके चेहरे पर दुःख और परेशानी साफ़ झलक रही थी।

एंजेला के पापा से अपनी इकलौती बेटी का दुःख नहीं देखा गया। उन्होंने देवेश के मम्मी पापा से बात कर ली।

मेरी लाडली बेटी को आपके बेटे से प्यार हो गया है... क्या हम लोग, दोनों की शादी कर सकते हैं?

शादी के बाद मेरा सारा business empire देवेश का हो जाएगा और आप लोग भी यहीं आकर रहें।

बेटे के सुनहरे भविष्य और खुशी के लिए देवेश के मम्मी-पापा ने शादी के लिए तो हाँ कर दी, पर गाँव छोड़ने से इन्कार कर दिया।

देवेश को पता चला तो उसने कहा कि, अगर आप लोग नहीं चलेंगे तो मैं शादी नहीं करूंगा।

देवेश के मम्मी-पापा बोले "बेटा, हमारा तो सारा जीवन गाँव में गुज़र गया है, अब बाकी दिन भी यहीं की मिट्टी के साथ गुजर जाने दो, हमने इसे छोड़ा तो जी नहीं पाएंगे।"

"तुम्हें सुनहरा भविष्य बुला रहा है, तुम चले जाओ, तीज त्यौहार में आ जाया करना, तुम और बहुरिया..."

देवेश और एंजेला की शादी हो गई। दिन सुख से गुजरने लगे...

पहला त्यौहार दीपावली और छठ पूजा आने वाला था।

देवेश, अलग ही उत्साह में था। उसने एंजेला से गांव चलने की तैयारी करने को कहा...

एंजेला भी खुशी-खुशी सारी तैयारी में लग गयी। उसने अपने और देवेश के साथ ही अपने सास-ससुर के लिए भी खूब सारे कपड़े, गहने और बहुत सारे सामान भी खरीदने शुरू कर दिए।

दो दिन बाद वो लोग जाने वाले थे, तभी गांव से पापा जी का फोन आ गया, "बेटा देवेश आप बहुरिया को लेकर गांव नहीं आएं।"

"आप की माँ की तबीयत ठीक नहीं है तो इस साल वो छठ पूजा नहीं कर पाएंगी और दीपावली भी आप लोग वहीं ही कर लेना। अगर माँ की तबीयत ज़्यादा खराब हो गई तो  त्यौहार खत्म होने पर हम भी शहर में आ जाएंगे।"

"यह क्या कह रहे हैं, आप पापा जी? मम्मी जी की तबियत खराब है, और हम ना आएं...

नहीं बेटा, उतनी भी नहीं ख़राब है कि आप को आना पड़े। हम हैं ना, सब ठीक हो जाएगा।

त्यौहार में गांव नहीं आएं! और फिर छठ..."

"हाँ बेटा, इस छोटी-सी जगह में बहुरिया को लाकर क्या करेगा?"

"हाँ छठ पूजा, हमारे घर से खत्म हो जाएगी - इसका तेरी माँ को बहुत दुःख है। बहुरिया तो english medium की पढ़ी-लिखी, अमीर घर की बेटी है। उससे यह कठिन व्रत नहीं हो पाएगा... छोड़ दो उस बात को... जैसी छठी मैया, की मर्ज़ी... उनका किया सिर-माथे।" कहकर पापा जी ने दुःखी मन से फ़ोन रख दिया।

देवेश, यह सुनकर बहुत दुःखी हो गया कि सदियों से चली आ रही, छठ मैया की पूजा, मम्मी जी की तबियत बिगड़ने से हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। उनके घर की रीत सदा के लिए टूट जाएगी... 

उसने एक पल एंजेला को देखा, फिर जाने क्या सोच कर बोला, मैं आज थोड़ी देर के लिए अकेले घर से जा रहा हूँ, मेरा इंतजार मत करना, तुम खाना खा लेना।

देवेश, एंजेला के पास लौट कर आएगा, या हमेशा के लिए गांव लौट जाएगा, जानने के लिए पढ़ें, नहीं टूटेगी रीत (भाग - 3) में (आखिरी अंक में) 

भावनाओं के ताने-बाने में बुनी कहानी का अंतिम भाग अवश्य पढ़िएगा 😊

छठ पूजा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 💐