आसरा (भाग - 2)
अब बुढ़ापे में किसके आसरे रहेंगे?
अरे... परेशान क्यों होती हो, ऊपर वाले के आसरे थे, उसके ही रहेंगे।
तभी घर के बाहर एक बड़ी सी चमकती हुई Car आ कर रुकी। उसमें से एक driver बाहर आया और बोला साहब, आप दोनों घर चलिए...
मिश्रा जी और उनकी पत्नी दोनों आंँखें खोल खोल कर चमकती हुई Car को देख रहे थे।
उनके घर के आगे कभी scooter या bike नहीं रुकती थी, फिर car वो भी इतनी बड़ी और चमकती हुई।
मंत्र मुग्ध से दोनों एक साथ बोले, किस के....?
जी... मुझे नहीं पता किस के?, Driver बोला- मुझे सिर्फ इतना ही बोलने को कहा था कि उनसे कहना, साहब आप दोनों घर चलिए....
ओह! ... ना जाने हमें कौन बुला रहा है, मिश्रा जी की तरफ देखते हुए उनकी पत्नी बोली।
काहे नाहक जोर दे रही हो दिमाग को, होगा कोई भला मानुष या शायद office से कोई बड़े साहब बुलाए होंगे.... मिश्रा जी कुछ सोचते हुए से बोले।
अरे जाने दीजिए... आप के office वालों ने आप को काम के बख्त कभी इतना मान नहीं दिया, तो अब देंगे, जब आप रिटायर हो चुके हैं।
वो भी साहब सम्बोधित करते हुए, नयी Car के साथ...
आप लोग, क्यों सोच सोच कर परेशान हो रहे हैं, जो भी होगा आप को दिख जाएगा। उनकी उधेड़-बुन को देखते हुए driver बोला..
देर मत कीजिए, जल्दी चलिए...
हाँ हाँ... कहकर मिश्रा जी Car में बैठ गये। पर उनकी पत्नी थोड़ा ठिठक गयीं..
अरे क्या हुआ, आओ भी... मिश्रा जी ने झुंझलाते हुए कहा
हमारे कपड़े और हालत तो देखो जरा, बुलाने वाला भी क्या सोचेगा?
पैबंद लगे कपड़े, टूटी-फूटी चप्पल और बिखरे हुए से बाल... कुछ भी तो ऐसा नहीं था कि जो उसे हिम्मत दे, बड़ी सी Car में बैठने की।
अरे Madam आ जाइए, कुछ मत सोचिए।
Madam... ऐसा सम्बोधन तो उसने पूरी जिंदगी में नहीं सुना था।
खुशी से भरी वो Car में बैठ गयी।
Car रफ्तार से बढ़ चली, और कुछ minutes बाद एक बहुत बड़े आलीशान से bungalow के सामने रुक गई।
Driver ने उन्हें उतार दिया और अन्दर जाने की बात कहकर वहांँ से चला गया।
इतने आलीशान घर की कल्पना तो मिश्रा जी ने भी नहीं की थी। अब तो वो भी स्तब्ध रह गये थे।
क्या सोच रहे हैं जी? घर वापस चलें? यहाँ हम से मिलने वाला कौन होगा भला?..
लगता है कि driver, हम ग़लत लोगों को ले आया है...
हाँ, तुम ठीक ही कहती हो, हमें लौट ही जाना चाहिए... और दोनों जाने को मुड़ गये...
आगे पढ़े, कहानी के अंतिम भाग..
आसरा (भाग-3) में...