पहला सावन (भाग - 1) और....
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पहला सावन ( भाग - 3)
अरे मेरी लाडो, तेरे साथ गुजारा, उसका वो पहला सावन, तुझे याद है? कितनी मस्ती की थी तुम दोनों ने। उसकी
ज़िंदगी के वो पल, वो कभी नहीं भूलना चाहता था, पर बहुत चाहकर भी India नहीं आ पा रहा था।
तो हर साल की यहाँ की photo बड़े मामा से मांगता था।
अच्छा...... रिया को सुन कर बहुत ही अच्छा लग रहा था, कि रंजन को
भी वो सावन याद रहा।
पर नानी, मैं तो पिछले 10 सावन से आ ही नहीं रही हूँ, तो उसने मुझे कैसे पहचाना?
मुझ से वो तेरी हमेशा बात
करता है, तेरी photo भी मैंने उसे भेजे थे, और इस सावन में वो तुझे बताने आया है, कि वो
तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता है।
नानी!......
क्यों तुम नहीं चाहती हो? मेरी तुम्हारी माँ से भी बात हो गयी है, वो तैयार
हैं।
आप लोग मुझे London भेज देंगे.......
नहीं बिटिया, रंजन अब यहीं रहेगा, पिछले 2 साल से वो India
में ही है। उसने अपना business setup यहीं कर
लिया है। तेरे प्यार ने उसे वापस अपनी ज़मीन से जोड़ दिया।
रिया शर्म से लाल हो गयी। आज
उसका इतने दिनों का इंतज़ार जो ख़त्म हो गया था।
फिर वो और नानी दोनों बाहर
आ गए, नानी साथ रिया को आया देखकर रंजन गा उठा
“रिमझिम घिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन.......”
उसका गाना सुनकर रिया
मुस्कुरा दी और उसने जाकर गाना लगा दिया, और झूमने
लगी.......
“अबकी सावन ऐसे बरसे, बह जाएँ रंग मेरी चुनर से....... जमके बरसो जरा.......”
और तभी ख़ूब ज़ोर से बारिश
शुरू हो गयी, जैसे सावन भी दोनों का साथ दे रहा हो।
रिया और रंजन को उस सावन
ने हमेशा के लिए मिलवा दिया।