हरतालिका तीज
व्रत में, व्रत कई,
फिर क्यों तीज महान?
कैसे हो कल्याण इससे?
सब क्यों करें इसका गुणगान..
नाम, हरण से आरंभ हुआ,
तीन पर हुआ शेष।
जिसमें कुछ भी शुभ नहीं,
फिर कैसे यह है विशेष?..
महादेव को वरने के लिए,
थीं, मां पार्वती परेशान।
पिता को, शिव नहीं भा रहे,
कैसे वर दें, उनसे अपनी जान?..
स्वयंवर सजने लगा,
देवों के आगमन के लिए।
हिमवान भावविभोर थे,
पार्वती को दुल्हन बनाने के लिए..
देखकर व्यथीत पर्वती को,
सखियां सब हो रही हैरान।
कैसे, क्या करें, कि पार्वती?
खिले पुनः पुष्प के समान..
हरण कर सखी का,
लें चलीं वनागमन को।
निष्प्राण देह को,
प्रेम से जीवित करने को..
कठिन तप, अथाह प्रेम,
व्रत, पूजन करने लगी।
शिव को, पति रूप में पाने को,
पार्वती, यत्न सब करने लगी..
भादो का था मास,
व्रत हरतालिका तीज।
अपने अथक प्रयास से,
मां ने, महादेव को लिया जीत..
शिव पार्वती के मिलन का,
हैं यह पवित्र त्यौहार।
इससे कुछ बढ़कर नहीं,
जहां महादेव गए हार..
वर हों महादेव,
वधू मां पार्वती।
बस यही है,
हरतालिका तीज..
शिव पार्वती जी के अमर प्रेम के प्रतीक हरतालिका तीज व्रत की विशेष कृपा सभी सुहागनों को मिलें और सभी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिले 🙏🏻
हर हर महादेव 🚩
जय मां पार्वती की🌹
हरतालिका व्रत कथा को कविता में पिरोने का प्रयास मात्र है, हे महादेव जी व माँ पार्वती आप की कृपा सदैव बनी रहे 🙏🏻 🙏🏻