Monday 20 March 2023

Poem: यह कैसा मौसम??

 यह कैसा मौसम??


यह कैसा मौसम है आया?

कहीं खुशियाँ, कहीं आंसू लाया।

गर्मी में सर्द या सर्दी में गरम,

कहीं किलकारी, कहीं आँखें नम! 


कहीं बच्चों ने खुशी से ताली बजाई,

जब ओलावृष्टि ने श्वेत चादर फैलाई।

यही चादर आंसूओं के सैलाब लाई,

नहीं हो सकी थी खड़ी फसलों की कटाई!


बसंत जो इस बरस नहीं आया,

भभकती गर्मी से था, हर दिल धबराया।

गरजे जो बादल, मन मयूर नाचे,

नेह से हर कोई काले मेघों को ताके।


मगर है अन्नदाता दुःखी परेशान,

खुशियां हो रही उसकी कुर्बान।

अबकी भी नहीं होगा कर्जा पूरा, 

सपना रह जाएगा फिर से अधूरा!


गर अन्नदाता रहा जो परेशान,

सुखी तब रहेगा कौन?

गुनहगार हैं हम सब इसके,

    प्रकृति अब नहीं रहेगी मौन!