अपने वादे के अनुसार, सावन के सौंदर्य से परिपूर्ण मौसम में एक बार फिर आप के लिए गीतों से सजी हुई कहानी लेकर आए हैं, हर बार की तरह इस बार भी कहानी को अपना स्नेह दीजिएगा..
हसीन मुलाकात
बरसात की काली स्याह अंधेरी रात, 12 बजे के ऊपर का समय रहा होगा। शायद अब तक तो आधी से ज्यादा दुनिया नींद के आगोश में जा चुकी होगी।
बरसात की रात होने के कारण, अजीब सा माहौल था, सन्नाटा तोड़ती, झिंगुर की झांय-झांय की आवाज, तो कभी, बीच-बीच में मेढ़क के टर्राने की आवाज।
तभी बचा-खुचा श्रेय तेजी से कड़कती बिजली की आवाज से पूरा हो गया।
सोच रहा था कि तेज़ क़दमों से चलते हुए, बारिश शुरू होने से पहले घर पहुंच...
पर मन का सोचा पूरा हो जाए, यह तो भाग्यशाली लोगों के साथ होता है। और भाग्य तो कितना बड़ा वाला था, यह तो आधी रात को पैदल घर आ रहा था, उससे ही पता चल रहा था।
बस घर जाने की पूरी बात सोच भी नहीं पाया था कि, मोटी-मोटी बूंदों ने टिप-टिप कर के गिरना शुरू कर दिया था।
मैं सबको कोसता हुआ आ रहा था कि अचानक कोई मुझ से टकराता है, हवा के झोंके के साथ ही उसके शरीर की भीनी खुशबू से मेरा रोम-रोम पुलकित हो उठा। पर वो है कौन यह मालूम नहीं पड़ रहा था।
और तभी अनायास बिजली कड़की, तो देखा बेहद बला की हसीन लड़की मेरे सामने थी। उसके दूधिया रंग पर उसके बालों की काली लट से टपकता पानी, बेहद दिलकश लग रहा था और बारिश से भीगा बदन, उसे और हसीन बना रहा था।
कुछ क्षण तो मैं स्तब्ध सा उसे देखता ही रहा, पर अगले ही पल वो ओझल हो गई...
उसके जाने के बाद भी मेरे कदम आगे नहीं बढ़ रहे थे। पर वहाँ से तो वो कब की जा चुकी थी।
उसके ही ख्यालों में खोया हुआ मैं घर आ गया।
घर पहुंचने पर भी मन वहीं रुक गया था। और बस एक ही गीत गुनगुना रहा था,
एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई, फिर क्या हुआ यह ना पूछो, कुछ ऐसी बात हो गई....
सुबह हो गई, मैं जल्दी-जल्दी office जाने की तैयारी में लगा हुआ था और यह मन... यह तो जैसे बांवरा होकर निरा निक्कमा हो चला था। मैं physically जितना भड़भड़ा रहा था, mentally उतना ही उस हसीना के ख्यालों में खोया निष्क्रिय था। बस यह गाना मस्तिष्क पर हावी हो रहा था,
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात, एक अंजान हसीना से मुलाकात की रात...
आगे पढ़े, हसीन मुलाकात ( भाग -2)...