चौकीदार बन गये हम🤪
जब हम हुए तो सब हमको घेर कर खड़े हो गए। हम हुए ही थे एकदम गोरे चिट्टे, बहुत ही खूबसूरत।
कोई हमें लाल परी कहें, तो कोई दुर्गा माता। अप्रैल के महीने में नवरात्र में जो हुए थे।
पर कभी घमंड नहीं किया।
बचपन बीता, जवानी आयी।
सबकी तरह हमारे शादी की भी बात चलने लगी।
अरे भईया, इतने रिश्ते आए कि पूछो नहीं।
एकदम स्वयंवर वाली feeling आ रही थी।
हमने भी एकदम संस्कारी रुख़ अपना लिया कि मम्मी, आप जिससे कहेंगी, उसी से शादी करेंगे।
उससे दो फायदे होने थे, एक तो माता जी प्रसन्न हमारी आज्ञाकारिता पर, दूसरा पति जी की कुछ भी कमी होने से जिम्मेदारी उनकी और हमें जिंदगी भर यह बोलने का अधिकार कि कैसे के पल्ले बांध दिया है...
खैर मम्मी भी बड़ी होशियार हैं। देख-परख कर एक सांवला सलोना बांका जवान ऑफीसर ढूंढ ही लिया।
शादी हो गई।
और जब आयी रातें....
तो देखते क्या हैं कि, पति जी मच्छरदानी लगा रहे हैं। हम तो पंखे की direct हवा लेने वाले, यह जाल-वाल हमें रास ना आए, ससुरी पंखे की हवा कम हो जाए सो अलग...
खैर, पंखे की समस्या को तो उन्होंने A.C. लाकर खत्म कर दी।
पर मच्छरों के प्रकोप के मारे, मच्छरदानी नहीं छूटी। करते भी क्या, मच्छर थे ही बहुत, सो मच्छरदानी तन जाती, पर एक-दो मच्छर घुस भी जाता तो, पति जी तो आराम से सोते रहते, और सारे मच्छर हम से ही चिपटे रहते, काय कि हम गोरे चिट्टे और चिकने जो ठहरे।
ऐसा नहीं था कि एक भी छिपकली ना हों।
थीं, पर वो भी निरी निकम्मी, खाली शो-पीस बनी रहती, हमें डराने के लिए।
जैसे तैसे दिन रात गुज़रे, और हमारे लाल गोपाल हो गये। हमारे ही तरह गोरे चिट्टे बहुत ही सुन्दर।
इधर वो हुए और उधर सारी नर्सें, और supporting staff लगे भकाभक उसकी फ़ोटो खींचने।
हम बेहद गर्व से भर गये। तभी मन के आकाश में भविष्यवाणी हुई, जिस बालक को देखकर तुम इतनी खुश हो रही हो, वो एक दिन तुम्हें चौकीदार बना देगा.....
चंद दिनों में ही वो भविष्यवाणी सत्य साबित हो गई।
काहे कि अब मच्छरदानी में मच्छर घुसते तो, हमसे नहीं उससे ही चिपटे रहते, मस्त गोरे चिट्टे, soft soft बच्चे के आगे, अब हमारी पूछ खत्म हो गई थी। और हम मच्छर का रेकेट लेकर चौकीदारी करते। सारी रात चौकन्ने रहते कि बाल गोपाल को मच्छर ना काट लें।
तब लगता, अभी तो मच्छर हैं, रेकेट से मर जाते हैं, पर आगे....
सच्ची, चौकीदार ही तो बन गये थे हम....🤪😛😄😄