यह कैसा प्यार
ऋषि अपने परिवार में सबसे छोटा था, वो बहुत ही सरल स्वभाव का था, साथ ही सबकी मदद करने में सबसे आगे रहने वाला, यही कारण था कि वो अपने घर और बाहर सब जगह बहुत लोकप्रिय था।
वो पढ़ने में बहुत होशियार था, साथ ही बहुत ही महत्वाकांक्षी भी था। वो छोटे से शहर से अपनी किस्मत आजमाने दिल्ली आया।
उसकी बुद्धि, लगन व मेहनत रंग लाई। और वो बहुत बड़ा businessman बन गया।
उसके बड़े businessman बनते ही और सरल स्वभाव के कारण, उससे बहुत से लोग जुड़ गए।
शुरुआत में उससे जुड़े लोग अच्छे थे, पर जैसे जैसे वो बड़ा आदमी बनता गया, उससे एक से एक धूर्त लोग जुड़ते जा रहे थे।
ऐसे लोगों ने उसके भोलेपन का फायदा भी उठाना शुरू कर दिया। साथ ही उनकी धूर्तता के जाल में ऋषि इस कदर फंसता जा रहा था कि, जो उसके हितैषी थे, उनको भी दूर करता जा रहा था।
उन्हीं दिनों में उसकी जिंदगी में तान्या आई। दोनों एक-दूसरे में खोने लगे।
तान्या बिंदास विचारों वाली लड़की थी, जो केवल मस्ती और अय्याशी में मशगूल रहती थी।
वो ऋषि से जुड़ी ही इसलिए थी कि उसका साथ उसे जिन्दगी की रंगिनीयों में ले जाता था।
ऋषि उसे बेपनाह मोहब्बत करने लगा था, तो उसने उससे शादी करने का offer भी दिया।
पर तान्या तो आजादी से उड़ने वाली एक छलावा थी, उसे बंधन कहाँ स्वीकार था......
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यह कैसा प्यार (भाग -2) में......