असलियत
राधिका हमेशा की तरह, मंगलू का इंतजार कर रही थी।
तभी वो सामने से आता हुआ दिखाई दिया।
क्या मंगलू काका, आज बहुत देर लगा दी सब्जी लाने में, तुम अभी भी नहीं आते तो मैं मण्डी ही चली जाती। वो तो हमेशा तुम से ही लेती हूँ, यही सोच कर रुक गई।
अच्छा हुआ नहीं गई बिटिया, कोई मिलता भी नहीं, सब वोट डालने गये हैं और हमारे पेट पर लात पड़ती सो अलग।
तो यह बताओ काका, इतनी देर क्यों कर दी?
अरे बताने वाली कौन बात है बिटिया, आज वोट डालने का दिन था, तो वही डालने गये थे।
तुम भी ना काका, बेकार का काम करते हो, वोट डालने चले गए। जितनी देर में वोट डालने गये थे, उतने में चार पैसे कमा लेते, वैसे भी यह नेता लोग कौन सा तुम्हारे घर की व्यवस्था देखेंगे, जो चल दिए वोट डालने।
तुम नहीं गई बिटिया?
हम नहीं जाते हैं बेकार के काम के लिए। घर के काम, कम है जो अब वोट भी देने जाएं।
तभी एक अजनबी भी सब्जी लेने आ जाता है। वो राधिका को अजीब सी नज़रों से देखने लगता है।
अब तो राधिका जो सब्जी ले, अजनबी भी वही सब्जी लेने के बहाने से, राधिका से छेड़छाड़ करने लगा।
थोड़ी देर तक तो राधिका ने बर्दाश्त किया, पर कुछ देर में वो सहम गई और सोचने लगी,
आह! कैसा बदमाश है यह...
उसने आनन-फानन में सब्जी के पैसे दिए और जल्दी-जल्दी घर की ओर चल दी।
उसने देखा वो बदमाश भी उसके पीछे हो लिया था।
अब तो राधिका बहुत ज्यादा घबरा गई और दौड़ने लगी, वो बदमाश भी दौड़ने लगा, पर उसने पीछा नहीं छोड़ा।
दौड़ने और घबराहट में उसका सब्जी का थैला भी गिर गया। पहले राधिका ने थैला उठाने की कोशिश भी की, पर बदमाश के बहुत पास आ जाने से वो थैला वहीं छोड़कर घर की ओर भागी।
जैसे-तैसे वो घर का दरवाजा खोलकर अंदर आई, पर जब तक वो दरवाजा बंद करती, वो बदमाश घर में घुस गया।
राधिका, उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी, छोड़ दो मुझे। Please मेरे साथ कुछ ग़लत मत करना।
वो बदमाश बोला, मैं कुछ करने आया भी नहीं हूँ। असलियत वो नहीं है, जो आप समझ रही हैं, मैं कोई गुंडा बदमाश नहीं हूँ, मुझे तो बस यह कहना है कि, सरकार सही होगी, तभी गुंडागर्दी नहीं होगी, अन्यथा गलत हाथों में सत्ता जाने से यही परिणाम होंगे। सही सरकार लाने में हमारे वोट ही सहायक होते हैं। अपनी वोट देने की ताकत को समझो।
वैसे मैं यह बात, सब्जी वाले के पास भी समझा सकता था।
पर जब कोई बात हमारे साथ practically होती है, तभी हम सही बात, सही स्थिति समझ पाते हैं।
राधिका बोली, मुझे माफ़ कर दीजिए, मुझे अच्छे से समझ आ गया कि, सभी को वोट देने जाना चाहिए। मैं अभी वोट डालने जाती हूँ।
यह लीजिए सब्जी का थैला, आप इसे डरकर सड़क पर ही छोड़ आई थीं।
बहुत बहुत धन्यवाद, सब्जी के थैले के लिए और मुझे सही बात समझाने के लिए भी।
तो आप लोगों को भी राधिका की तरह वोट की ताकत का अंदाजा हो गया?
आप भी जा रहे हैं ना वोट देने?
सही वोट ही सही सरकार को सत्ता में लाती है, जिससे आप का और देश का भविष्य उज्ज्वल होता है और सुरक्षित भी।