यह कैसा प्यार (भाग -6) के आगे.....
यह कैसा प्यार (भाग-7)
अब तो ऋषि को भी लगने लगा कि उसको भ्रम रहने लगा है। क्योंकि जो उसे दिखता है, वो ना तान्या को दिखता है ना रोहित को।
उसे भी सिर्फ साया दिखाई देता है और आवाजें सुनाई दे रही थी, पर साक्षात् कुछ नज़र नहीं आता था।
इन सब के चलते ऋषि धीरे-धीरे मानसिक रूप से बीमार होता जा रहा था जिसके कारण वह business पर ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहा था, तो वो धीरे-धीरे रोहित की partnership बढ़ाता गया।
अब partnership ऐसी थी कि, ऋषि 30% और रोहित 70% का partner हो गया था।
ऋषि ने ठीक होने के लिए दवाइयाँ भी लेनी शुरू कर दी।
पर उन दवाइयों का नशा ऐसा था कि वो 24 घंटे में से 16 घंटे पूरी तरह झूमता ही रहता है। क्योंकि उसे पता ही नहीं चला था कि कब तान्या ने उसे दवाइयों के साथ drugs भी देनी शुरू कर दी।
ऋषि के पापा जी का एक दिन फोन आया, तो उन्हें ऋषि की तबीयत का पता लगा, वो फ़ौरन ऋषि से मिलने पहुँच गए।
जब ऋषि के पिता घर में आए, उस समय ऋषि रोहित के साथ doctor के पास गया था।
तान्या नहीं चाहती थी कि वो ऋषि से मिलें, तो उसने पिता जी को यह कहकर वापस जाने को बोल दिया कि ऋषि business के सिलसिले में abroad गया है।
वो जाने लगे, तब तक ऋषि doctor के पास से लौट आया था। अपने पिता जी को देखकर वो बहुत खुश हुआ।
उसके पिता जी दो दिन रुके। इन दो दिनों में उसे कोई साया नहीं दिखा और कोई आवाज़ भी नहीं सुनाई दी। इसलिए उसने कोई दवा नहीं खाई।
फिर भी उसकी स्थिति में सुधार आने लगा। ऋषि की स्थिति में सुधार देखकर पिता जी बोले बेटा, मेरे पेंशन लेने जाने का दिन आ गया है। तो मुझे जाना होगा, तू भी साथ चल।
अब तो रोहित business संभाल रहा है तो तुझे उसकी भी कोई चिंता नहीं है।
ऋषि बोला, पिता जी आप चलिए। मैं दो दिन में आता हूँ। अबकी जब आऊंगा तो बहुत दिनों के लिए आऊंगा। माँ जी और भाभी से बोल दीजिएगा कि खूब सारे पकवान बनाकर रखें, अपने लाडले के लिए।
पिता जी को छोड़कर जब वो लौट कर आया, तो उसे अपने bedroom से आवाजें आती सुनाई दी।
उसने घर के बाहर से ही झांक कर देखा, तो अन्दर का दृश्य देखकर वो हैरान रह गया......
आगे पढ़ें यह कैसा प्यार (भाग - 8) में.....