गरीब की बेटी (भाग -2 ) के आगे...
गरीब की बेटी (भाग -3)
अंजली ने सुना तो बोली, मेरी मां बहुत अच्छी है, मुझे जल्दी स्कूल भेजेगी और सिलाई सिखाने के लिए तो यूं झट तैयार हो जाएगी...
रेखा सुनकर खुश हो गई, बोली अच्छी बात है, चार दिन बाद से सिलाई सीखने जाना है, 300 रुपए लेगी टीचर, तुम पैसे के साथ मेरे घर आ जाना, मां हम लोगों को लेकर चले चलेगी।
दोपहर के खाने के बाद, अंजली ने अपनी मम्मी से कहा, आज रेखा आई थी, उसका भी स्कूल छूट गया है और वो सिलाई सीखने जाएगी, मुझे भी भेज दोगी? 300 रुपए लेगी टीचर, हफ्ते में चार दिन क्लास लगेगी...
अच्छा, तेरे पापा आ जाएं तो बात करुंगी...
रात में अंजली के सोने के बाद दोनों पति-पत्नी ने बात की और इस निष्कर्ष पर निकले कि पढ़ाने-लिखाने से तो कुछ होना नहीं है, कौन बड़ी आफिसर बन जाएगी।
सिलाई सीख लेगी तो चार पैसे कमा लेगी। वैसे भी सिलाई सिखाने के पैसे, स्कूल की फीस से कम थे।
दूसरे दिन अंजली की मम्मी, अंजली को साथ लेकर, रेखा के घर पैसे लेकर पहुंच गई।
अंजली, रेखा से चहकते हुए बोली, मैं बोली थी ना, मम्मी मुझे सिलाई सिखाने को झट तैयार हो जाएगी। लो, हम आ गए..
वहां से सभी, सिलाई की क्लास में चले गए। वहां पैसे जमा कर दिए और अंजली ने सिलाई सीखना शुरू कर दिया।
अंजली बहुत खुश थी, उसे अपने मम्मी-पापा दुनिया के सबसे अच्छे मम्मी-पापा लग रहे थे। वो स्कूल नहीं जा पा रही थी, पर अब उसे इसका कोई अफसोस नहीं था।
अंजली होशियार थी, लगन की पक्की थी, उसने जल्द ही काज बनाना, उल्टी बखिया, छोटी-मोटी सिलाई और पेटीकोट बनाना सीख लिया।
उसकी टीचर बोली, मैं तुम्हें अगले हफ्ते से सलवार सूट बनना सिखाऊंगी। ऐसा करना, तुम अब से शनिवार और रविवार की सुबह भी आ जाया करना...
अंजली अत्यंत प्रसन्न थी, अब मैं अपने और मम्मी के लिए कपड़े घर में ही बना दिया करुंगी।
यह बात, जब उसने अपनी मम्मी को बताई, तो वो शांत थी, उसने कोई खुशी नहीं दिखाई।
अंजली को समझ नहीं आया कि क्या हुआ? वो आशा भरी निगाहों से अपनी मां को देख रही थी।
तो उसके पापा ने अंजली को बताया कि कुछ दिनों में तेरा एक और भाई आने वाला है...
भाई की बात सुनकर, अंजली खुश हो गई, सच पापा, एक और भाई आएगा?
हाँ अंजली...
और सुन, अब तेरी मम्मी से काम नहीं हो रहा है, इसलिए तेरी सिलाई की पढ़ाई बंद करनी पड़ेगी...
बंद...!
हाँ, वैसे भी तेरी टीचर अब 500 रुपए मांग रही है... उतने रुपए कहां हैं, हमारे पास? माँ दुःखी होते हुए बोली। वैसे ही कन्हैया की पढ़ाई के पैसे मुश्किल से जुटते हैं।
अब, तू ही बता कैसे होगा सब?
मम्मी को दुखी देखकर, अंजली बोली, ठीक है मम्मी, मैं छोड़ दूंगी सिलाई, तुम चिंता मत करो... तुम आराम करना, मैं घर के सारे काम कर लूंगी...
अंजली खुशी-खुशी मम्मी की तीमारदारी और घर के कामकाज में जुट गई...
दूसरा बच्चा भी लड़का ही हुआ, सभी बहुत खुश थे और अंजली खुशी से नाच रही थी, अंजली ने बड़े प्यार से उसका नाम राजा रखा...
अभी राजा को हुए, 2 साल भी नहीं बीता था कि पूरे विश्व में कोरोना की लहर छा गई....
आगे पढें गरीब की बेटी (भाग -4) में ....