रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा
आज कल शीतकाल चल रहा है, फिर भी हवाओं में एक गर्माहट की अनुभूति बढ़ चली है, शायद इसलिए, कि शीत लहर से ज्यादा राम लहर चल रही है।
जी हां, जो ईश्वर के सानिध्य को परम सुख मानते हैं, उनके लिए यह अमृत काल चल रहा है। क्योंकि जिसका वो बहुत दिनों से इंतजार कर रहे थे, वो स्वर्णिम पल आ गया है।
अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापित होने का पावन समय...
पर वो तो 22 जनवरी को घोषित किया गया था, तो अभी से कैसे?
बिल्कुल 22 जनवरी को ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा। पर इतना बड़ा आयोजन एक दिन और चंद घंटों में समाप्त नहीं हो जाएगा। बल्कि इस का प्रारम्भ तो सूर्यदेव के उत्तरायण में प्रवेश करने के साथ ही प्रारंभ हो गया है।
आप पहले पूरे कार्यक्रम की रुपरेखा देख लीजिए, फिर इससे संबंधित और विषय में भी विचार-विमर्श कर लेते हैं।
जब आयोजन बड़ा है तो कार्यक्रम भी एक सप्ताह तो चलना ही है, अतः 15 जनवरी से शुरू होकर 22 जनवरी तक चलने वाले कार्यक्रमों का विधिवत लेखा-जोखा इस प्रकार है।
राम मंदिर में 15-22 जनवरी 2024 तक के कार्यक्रम की रुपरेखा:
1. 15 जनवरी 2024: रामलला के विग्रह यानी श्रीराम के बालरूप की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा।
2. 16 जनवरी 2024: इस दिन से रामलला के विग्रह के अधिवास का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा।
3. 17 जनवरी 2024: इस दिन से रामलला की प्रतिमा नगर भ्रमण के लिए निकाली जाएगी।
4. 18 जनवरी 2024: इस दिन से प्राण-प्रतिष्ठा की विधि आरंभ होगी। मंडप प्रवेश पूजन, वास्तु पूजन वरुण पूजन, विघ्नहर्ता गणेश पूजन और मूर्तिका पूजन होगा।
5. 19 जनवरी 2024: राम मंदिर में यज्ञ अग्नि कुंड की स्थापना की जाएगी। खास विधि द्वारा अग्नि का प्रज्वलन होगा।
6. 20 जनवरी 2024: राम मंदिर के गर्भगृह को 81 कलश, जिसमें अलग-अलग नदियों के जल इकठ्ठा किए हैं, उनसे पवित्र किया जाएगा। वास्तु शांति अनुष्ठान होगा।
7. 21 जनवरी 2024: यज्ञ विधि में विशेष पूजन और हवन के बीच रामलला का 125 कलशों से दिव्य स्नान होगा।
8. 22 जनवरी 2024: इस दिन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मध्यकाल में मृगशिरा नक्षत्र में रामलला की महापूजा होगी। अर्थात रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का क्या अर्थ है और यह क्यों की जाती है, आपके मन-मस्तिष्क में भी इस तरह से प्रश्न उमड़-घुमड़ रहे होंगे। चलिए यह भी जान लेते हैं।
मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा: वैदिक काल से देवी-देवताओं की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा चली आ रही है।
जैसे प्राण के बिना किसी भी चीज का अस्तित्व नहीं है, वैसे ही मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बिना उसका धार्मिक महत्व नहीं है।
किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा बेहद खास अनुष्ठान होता है। किसी भी मूर्ति में जब वैदिक मत्रों के उच्चारण और खास विधि द्वारा उसमें प्राण को प्रतिष्ठित (स्थापित) किया जाता है तो उसे प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं।
क्या प्राण प्रतिष्ठा के बिना नहीं है मूर्ति का अस्तित्व :
कहा जाता है कि यदि किसी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होगी तब तक उसका अस्तित्व नहीं है।
यानी जब विधिवत पूजा अर्चना द्वारा मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है तभी उसकी पूजा से लाभ प्राप्त होता है।
यही वजह है कि मंदिरों में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
धार्मिक जानकर कहते हैं कि मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होने पर उसमें भूत, प्रेत, पिशाच जैसी नकारात्मक शक्तियों का वास हो जाएगा।
ऐसे में पत्थर की मूर्ति की पूजा करने से कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा शुभ नक्षत्र-ग्रह, तिथि, वार, समय, मंत्र, पुरोहित (पंडित), यजमान को ध्यान में रखकर किया जाता है।
बिना प्राण प्रतिष्ठा के पूजन अधूरी मानी जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक होता है।
रामलाल की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त:
अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का समय 12 बजकर 29 मिनट 08 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहने वाला है। यह 84 सेकंड का मुहूर्त बहुत ही खास है।
आप सोच रहे होंगे कि यही समय क्यों निर्धारित किया गया है?
उसका दो कारण है:
1. इसी समय मुहूर्त में प्रभू श्रीराम जी का जन्म हुआ था।
2. भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल, कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।
हमने आपको पूरे कार्यक्रम की रुपरेखा, शुभ मुहूर्त का दिन व समय, सब से अवगत करा दिया है।
हम सब बहुत सौभाग्यशाली है जो इस स्वर्णिम पल के साक्ष्य हैं। ध्यान रखिएगा बहुत बड़ा शुभ कार्य है, कहीं व्यस्तता के कारण आप इससे वंचित ना रह जाए।
प्रभू श्रीराम जी हम सब पर अपनी विशेष कृपा बनाएं रखें 🙏🏻😊
जय श्री राम 🚩