आज कल बहुत जोर हवाएं चल रही हैं, इन हवाओं को देखकर कुछ अलग ही अनुभूति हुई, उसी को उकेर रहें हैं, पढ़िएगा शायद आपको भी यही अनुभूति हुई हो या पढ़ने के बाद, आप जब हवाओं को चलता देखें तो यह अनुभव हो! बड़ा ही मधुर अनुभव है, आइए आनन्द लेते हैं इसका...
डालियों का प्रेम मिलन
तेज़ हवाओं ने,
प्रकृति को दिया,
नेह निमंत्रण।
आओ झूम लो,
सब भूलकर।
तुम भी कर लो,
प्रेम आलिंगन।
दो डालियां जो हैं,
एक ही वृक्ष की।
साथ-साथ बढ़ी,
साथ ही खड़ी।
फिर भी कभी,
एक दूसरे से,
मिल ना सकी।
उनको ही मिलाने को,
यह हवाएं हैं चली।
झूम कर इससे,
दोनों जो मिली।
प्रकृति में हर ओर,
दोनों के प्रेम मिलन की,
बात है चली।
डालियों का एक-एक,
मुस्कुरा रहा है पात।
देखकर इस प्रसंग को,
हो रहा सुखद एहसास।
लग रहा है आज,
कुछ ओज है खास,
कुछ जोश है खास।
एक शोर है अजब सा,
पर मधुर है गजब का।
ना जाने है यह किसका?
हवाओं के तेज़ चलने का?
या पत्तों का खुशी से मचलने का ?
या है यह शाश्वत आलिंगन,
डालियों के प्रेम मिलन का...
जब प्रकृति प्रसन्न होकर झूमती है, उस समय ईश्वर की कृपा सर्वाधिक बरसती है 🙏🏻🙏🏻🌳🌺💞🌷🌻🌹