अब तक आपने पढ़ा रंजना और रितेश एक दूसरे को बहुत चाहते हैं, पर रंजना की बीमारी ने रितेश को हिला कर रख दिया।
अब आगे........
अंतिम इच्छा (भाग -2)
घर आ कर वो रंजना
पर बिफर गया। आखिर क्यों तुम
दर्द सहती रही? वो
वो.... तुम्हें परेशानी ना हो, इसलिए रंजना धीरे से बोली।
और अब क्या मुझे ये जान
कर बहुत खुशी हो रही है? तुम मुझे हमेशा के लिए
छोड़ के चली जाओगी। मेरे प्यार
में कहाँ कमी रह गयी? जो तुमने इतनी बड़ी बात
छुपाई। कहते कहते उसकी आवाज़
भर्रा गयी। मुझे माफ कर दो रितेश, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं
था। ना ही मैं ये समझ पायी थी, कि बात इतनी बड़ी हो गयी
है। रंजना ने छलक़ते हुए आंसुओं के साथ कहा।
सारी रात दुख
और आँसूओं में ही बीत गयी।
अगले दिन से रितेश रंजना की दवाई, खान-पान का बहुत ज्यादा
ध्यान रखने लगा। क्योंकि doctor ने बोला था, कि आप इन दवाइयों और अच्छे खान-पान के
सहारे जितने दिन भी खींच सकें, खींच ले। बाकी कुछ भरोसा
नहीं है, कि
ये अब कितने दिन और
रहेंगी। रितेश इस जी-जान से रंजना की सेवा में लग गया, कि रंजना को कभी जाने ही नहीं देगा। पर
बीमारी का असर भी बढ़ता जा रहा था। जैसे जैसे, उसकी बीमारी बढ़ रही थी, रितेश हर जगह
से अपने को हटा कर सिर्फ रंजना पर अपना ध्यान केन्द्रित करता जा रहा था। ना वो रोज़ office जा रहा
था, ना
ठीक से खा रहा था, ना सो रहा था। उसकी ऐसी हालत रंजना से बरदस्त
नहीं हो रही थी।
एक दिन उसने
रितेश के सिर पर बड़े प्यार से, हाथ
फेरते हुए पूछा, तुम मुझ से कितना प्यार
करते हो? नहीं
जानती हो तुम? बताना पड़ेगा? रितेश ने तुनक के
पूछा। नहीं नहीं, जानती हूँ, बस एक बात मन
में आई, क्या
तुम मेरी हर इच्छा पूरी कर सकते हो? रंजना
बोली। कह कर तो देखो, जान भी हाजिर है।
अच्छा, मेरी एक
इच्छा है कि, मैं जाने से पहले
तुम्हें दूल्हा बना देखना चाहती हूँ। सुन कर रितेश गुस्से से पागल हो गया।
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है?.... जानती
हो, मैं ऐसा सोच भी नही सकता
हूँ।
अगर यही मेरी
आखिरी इच्छा हो तब भी, रंजना उसी प्यार भरे भाव
से पूछने लगी। ये क्या
आखिरी इच्छा आखिरी इच्छा लगा रखी
है, तुम कहीं नहीं जा रही
हो। समझ में आया। समझने की तुम
कोशिश करो रितेश। जाने वाले के साथ
जा नहीं सकते हैं। तुम्हें जीना होगा, वो भी
मेरे बगैर। और अगर तुम चाहते हो, मैं सुकून के
साथ जा सकूँ, तो मेरी बात मान लो। बस
यही मेरी पहली और आखिरी
इच्छा भी है। आज पहली बार
रंजना ने कुछ मांगा था, पर रितेश वो उसे नहीं
देना चाहता था, इसलिए कमरे से बाहर चला गया।
रंजना ने रितेश
के लिए लड़की देखनी शुरू कर दी। रितेश बहुत ही स्मार्ट था, इसलिए लड़की तो मिलना कोई
कठिन नहीं था। पर वो रितेश को भी भा जाए, ये कठिन
था। रंजना को रितेश के बचपन की सहेली की कामिनी याद आई, अभी कुछ दिन पहले ही वो
उनके घर आई थी, वो रितेश पर जान छिड़कती
थी। पर रितेश को तो रंजना के अलावा कोई दिखता ही कहाँ था।
रंजना ने कामिनी को सब बात बता कर रितेश से शादी करने
की बात की। कामिनी को तो मन
मांगी मुराद मिल गयी। पर वो बोली कि
क्या रितेश मान जाएगा? उसे मैं मना लूँगी, तुम उसकी
फिक्र मत करो, रंजना ने विश्वास से भर कर
कहा।
रंजना ने बहुत
सी कसमें दे कर रितेश को मना ही लिया। कामिनी आज बहुत खुश थी, जिसके लिए उसका दिल हमेशा
से धड़कता था, आज उस दिल
से उसे मिल जाना था।
क्या रंजना अपनी आँखों के सामने , अपने प्यार-रितेश को कामिनी का होता हुआ देख पायेगी।
जानते हैं अंतिम इच्छा (भाग -३ ) में